मकर संक्रांति का पर्व हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण है और इसे सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के अवसर पर मनाया जाता है। इस दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर अग्रसर होता है, जिसे शुभ और मांगलिक कार्यों की शुरुआत के लिए आदर्श माना जाता है।
महत्वपूर्ण तथ्य:
- पर्व तिथि और समय: 14 जनवरी, सुबह 7:59 बजे सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेगा।
- खरमास का समापन: मकर संक्रांति के साथ ही खरमास समाप्त होगा और शुभ कार्यों का आरंभ होगा।
- विशेष कर्म: इस दिन स्नान, दान, तर्पण, और पितरों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने का विशेष महत्व है। काले तिल, अन्न, वस्त्र, और धातु का दान अत्यंत पुण्यकारी माना गया है।
- पर्व स्नान: मोक्षदायिनी नदियों में स्नान करने से पापों का क्षय और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
ज्योतिषीय दृष्टिकोण:
- सूर्य सिद्धांत के अनुसार, इस बार संक्रांति का वाहन “व्याघ्र” (बाघ) और उप वाहन “अश्व” (घोड़ा) होगा। इसका प्रभाव वन्यजीवों पर पड़ेगा, जिससे वन्य प्राणियों की संख्या में वृद्धि हो सकती है।
धार्मिक और सामाजिक पहलू:
- इस दिन को धन, समृद्धि, और स्वास्थ्य में वृद्धि का प्रतीक माना जाता है। जल में काले तिल डालकर स्नान करने से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।
- सूर्य के उत्तरायण होने से दिन की अवधि बढ़ने लगती है, जो सकारात्मक ऊर्जा और उन्नति का प्रतीक है।
इस शुभ अवसर पर लोग पतंगबाजी, दान, और सामूहिक भोज का आयोजन करते हैं, जो समाज में एकता और भाईचारे को बढ़ावा देता है।