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Monday, January 13, 2025

भगवान विष्णु ने कुबेर से बहुत सारा धन उधार लिया था,  उस ऋण को आज भी बालाजी के रूप में चुका रहे हैं

तमिल धार्मिक मान्यताओं में भगवान विष्णु ने कुबेर से धन उधार लिया है। यह सुनने में थोड़ा अजीब लगता है कि देवताओं में सबसे बड़े भगवान विष्णु को भी धन की जरूरत पड़ी, जोकि भौतिक वस्तु है और भगवान के लिए महत्वहीन है लेकिन कुबेर ने उनकी यह जरूरत पूरी की। उन्हें कुबेर ने धन दिया, लेकिन ऋण के तौर पर। ताम्बे पत्र पर भगवान विष्णु ने कुबेर से बहुत बड़ा ऋण मांगा था, जो आज तक चुका नहीं पाए हैं।

तमिल मायताओं के अनुसार एक कथा है कि भगवान विष्णु से वैकुंठ में ऋषि भृगु मिलने गए थे, जहां भगवान विष्णु अपने शेषनाग पर सो रहे थे और मां लक्ष्मी उनके पैर दबा रही थीं। भृगु ने विष्णु को आवाज दी, लेकिन उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। ऋषि भृगु ने इसे अपना अपमान समझकर भगवान की छाती पर जोर से लात मारी। श्री विष्णु ने लात लगते ही उठकर ऋषि के पैर पकड़कर पूछा कि क्या मुझे मारने से भी आपके पैर में दर्द हो रहा है ? ऋषि उनका प्रेम देखकर खुश हो गए, लेकिन माता लक्ष्मी नाराज़ हो गई और वैकुंठ छोड़कर चली गईं।

बाद में लक्ष्मी जी एक राजा के घर कन्या के रूप में पैदा हुईं और उनका नाम पद्मावती रखा गया । भगवान विष्णु ने श्रीनिवास नाम से धरती पर जन्म लेकर लक्ष्मी जी का साथ चाहा। एक दिन श्रीनिवास जंगल में जंगली हाथी का पीछा कर रहे थे  तो वहां उन्हें कई लड़कियां दिखीं । श्रीनिवास के द्वारा  कुछ कहने से पहले ही उनकी नजर राजकुमारी पद्मावती पर पड़ी,  जिसे उन्होंने माता लक्ष्मी का रूप जान लिया । जब वे जंगल से बाहर आए,  उन्होंने यह सब अपनी गुरु माता को सब बताया। उन्होंने गुरु माता ने कहा कि यदि वे उन्हें अपना पुत्र मानती हैं,  तो राजकुमारी से उनका विवाह का प्रस्ताव रखे । गुरू मां राजा के पास प्रस्ताव लेकर जाती है राजा कुछ समय मांगते हैं ,जब अपने देव गुरु बृहस्पति जी से पूछते हैं वह भी यही बोलते हैं कि उस आश्रम से जो प्रस्ताव आया है उसे स्वीकार कर लीजिए , इस तरह विवाह तय हो जाता है लेकिन भगवान श्रीनिवास के पास धन नहीं था विवाह करने के लिए । गुरुमां तुरंत ब्रह्मा व महेश का आवाहन करती है. भगवान प्रकट होते हैं और उन सब को साक्षी मानकर श्रीनिवास , कुबेर जी से विवाह के लिए उधार धन लेते हैं ।कुबेर जी ब्रह्मा व महेश को साक्षी मानकर धन उधार देते हैं लेकिन यह पूछते हैं कि आप इस धन को कब तक चुका पाओगे ? भगवान कहते हैं कि कलयुग के अंत तक का आपको चुका पाऊंगा । कलयुग में जब मेरे भक्त गण जो भी धन दान पुण्य और यज्ञ कार्य में करेंगे उससे आपका कर्ज चुका दूंगा।तब माता लक्ष्मी कहती है इससे भक्त लोग को क्या मिलेगा ? भगवान कहते हैं, आप करुणा मयी है ,आप ही दे दीजिए, तब मां धनलक्ष्मी के रूप में प्रकट होती है और जो भी भक्त भगवान के कार्य में सहयोग के लिए धन लगाते हैं उसको माता धनलक्ष्मी कई गुना वापस करती हैं । इसलिए हमेशा कथा भागवत या दान पुण्य,सत्संग ,यज्ञ कोई भी जगह मिले वहां दान जरूर करना चाहिए , माता कई गुना फल दे देती है। कहा जाता है कि आज भी भगवान बालाजी श्रीनिवास की हुंडी में भक्तों द्वारा चढ़ाये हुए धन से भगवान कुबेर की उधारी अदा करते हैं और माता पद्मावती उस भक्त को कई गुना धन वापस करती है . इसी कारण से दक्षिण भारत में अनेक भक्त गण भगवान बालाजी को अपने धंधे में पार्टनर बना लेते हैं .

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