fbpx

Total Users- 570,000

Friday, December 6, 2024

खरना व्रत का महत्व और नियम: छठ पूजा के दूसरे दिन की पूरी जानकारी

छठ पूजा के दूसरे दिन की शुरुआत खरना से होती है। छठ के चारों दिन का अलग-अलग महत्व होता है।इसी दिन शाम से लगभग 36 घंटे का निर्जला व्रत का आरंभ हो जाता है। छठ के महापर्व में खरना का विशेष महत्व हैं, क्योंकि, इस दिन छठ का विशेष प्रसाद बनाया जाता है। आइए जानते हैं खरना व्रत के नियम और महत्व।

क्या होता है खरना ? (Chhath Puja Kharna Importance)

इस दिन से रोटी, गुड़ की खीर और फल का भोग लगाया जाता है। खरना वाले दिन भगवान का विशेष प्रसाद व्रत रखने वाले ही तैयार करते हैं और शाम के समय भगवान को अर्पित करने के बाद ही वह उसे ग्रहण करते हैं। खरना से जो उपवास आरंभ होता है वह सप्तमी तिथि के दिन अर्घ्य देने के साथ ही समाप्त होता है।

खरना के नियम (Chhath Puja Kharna Niyam)


1) इस दिन मिट्टी के चूल्हे पर गुड़ की खीर बनाई जाती है। इसके लिए पीतल के बर्तन का प्रयोग किया जाता है। यह खीर बहुत ही शुद्धता और पवित्रता के साथ बनाई जाती है इसलिए मिट्टी के चूल्हे का प्रयोग किया जाता है। खीर के अलावा गुड़ की अन्य मिठाई, ठेकुआ और लड्डू आदि भी बनाए जाते हैं।

2) खरना की यह खास खीर सिर्फ और सिर्फ व्रती इंसान ही बनाता है। पूरे दिन व्रत रखने के बाद शाम के समय व्रती व्यक्ति इसी गुड़ की खीर का सेवन करते हैं। शाम के समय व्रत रखने वाला व्यक्ति कमरा बंद करके ही खीर का सेवन करता है। इसके बाद पूरा परिवार व्रती व्यक्ति से आशीर्वाद लेता है। साथ ही सुहागन महिलाएं व्रती महिलाओं से सिंदूर लगवाती हैं।

3) शाम में केले के पत्ते पर खीर, के कई भाग किए जाते हैं। अलग-अलग देवी देवताओं, छठ मैय्या, सूर्यदेव का हिस्सा निकाला जाता है। इसके बाद केला, दूध, बाकी पकवान भी उसके ऊपर रखे जाते हैं। फिर छठी मैया का ध्यान करते हुए अर्पित करने के बाद व्रती महिलाएं इसे ग्रहण करती हैं। कमरा बंद करके भोजन करती हैं।

4) व्रती शाम के समय केले के पत्ते पर खीर अलग-अलग देवी देवताओं, छठ मैय्या, सूर्यदेव का हिस्सा निकाला जाता है। इन हिस्सों पर केला, दूध, बाकी पकवान भी उसके ऊपर से रखा जाता है। फिर इसे परिवार के सभी लोगों के बीच इसे प्रसाद के रूप में बांट दिया जाता है।

5) खरना के दिन जब व्रती गुड़ की खीर का भोग लगा लें तो परिवार के सभी लोग उनसे आशीर्वाद लेते हैं। इसी के साथ लगभग 36 घंटों का मुख्य व्रत आरंभ हो जाता है। जिसमें सुबह के अर्घ्य देने तक फिर अन्न जल कुछ भी ग्रहण नहीं करना होता है।

6) छठ का व्रत रखने वालों को भूमि पर शयन करना चाहिए। साथ ही पूर्ण ब्रह्मचर्य का भी पालन करना चाहिए। इस दौरान सोना के लिए तकिया आदि का भी प्रयोग नहीं किया जाता है।

More Topics

मानव स्मृति कैसे करती है काम

मानव स्मृति (Human Memory) एक जटिल और अद्भुत प्रक्रिया...

सपने में धन की चोरी शुभ या अशुभ

सपने में धन की चोरी होते दिखना आमतौर पर...

चिरमिरी हिल स्टेशन छत्तीसगढ़ का खूबसूरत पर्वतीय स्थल

चिरमिरी हिल स्टेशन छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में स्थित...

दुल्हन बनने से पहले अपनाएं ये टिप्स

1. त्वचा की देखभाल (Skincare Routine) क्लींजिंग, टोनिंग, मॉइस्चराइजिंग: रोजाना...

जेनेटिक म्यूटेशन से मीठा खाने की चाहत कम हो सकती है

जेनेटिक म्यूटेशन और मीठा खाने की चाहत मीठा खाने की...

Follow us on Whatsapp

Stay informed with the latest news! Follow our WhatsApp channel to get instant updates directly on your phone.

इसे भी पढ़े