सूर्य गायत्री मंत्र एक प्राचीन वेदिक मंत्र है, जिसे सूर्य देवता की आराधना के लिए जपने की परंपरा है। यह मंत्र साधकों को ऊर्जा, शक्ति, और आत्मज्ञान प्रदान करता है।

सूर्य गायत्री मंत्र:
ॐ भास्कराय च विद्महे
सूर्याय च धीमहि
तन्नो सूर्यः प्रचोदयात्।
अर्थ:
- ॐ: यह ब्रह्म का प्रतीक है, जो सब चीज़ों की शुरुआत करता है।
- भास्कराय च विद्महे: हम भास्कर (सूर्य) को जानने का प्रयास करते हैं।
- सूर्याय च धीमहि: हम सूर्य की ऊर्जा में ध्यान करते हैं।
- तन्नो सूर्यः प्रचोदयात्: वह सूर्य हमें प्रेरित करें।
जप विधि:
- स्थान: एक शांति स्थान चुनें, जहाँ आप ध्यान केंद्रित कर सकें।
- सकारात्मकता: मंत्र का जप करते समय सकारात्मकता और श्रद्धा का भाव रखें।
- माला का उपयोग: 108 बार जप करने के लिए रुद्राक्ष या तुलसी की माला का उपयोग करें।
- समर्पण: जप के अंत में सूर्य देवता को धन्यवाद दें और अपनी इच्छाएँ उनके समक्ष रखें।
सूर्य गायत्री मंत्र का नियमित जप करने से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, और यह सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।