गुरु नानक जयंती सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। इसे “गुरपुरब” या “प्रकाश पर्व” भी कहा जाता है। यह सिख समुदाय का एक पवित्र और महत्वपूर्ण त्योहार है और दुनिया भर के सिख धर्म के अनुयायी इसे बड़े श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाते हैं। आइए जानते हैं गुरु नानक जयंती से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें:
1. गुरु नानक देव जी का जीवन और संदेश
- जन्म और मृत्यु: गुरु नानक देव का जन्म 15 अप्रैल 1469 में राय भोई दी तलवंडी (अब पाकिस्तान में स्थित ननकाना साहिब) लाहौर में हुआ था और मृत्यु 22 सितंबर 1539, करतारपुर, पंजाब, भारत में हुआ था।
- शिक्षा और संदेश: गुरु नानक जी ने समाज में व्याप्त भेदभाव, अंधविश्वास और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई और समाज को एकता, सादगी, सत्य, करुणा और भाईचारे का संदेश दिया।
- तीन मुख्य सिद्धांत: गुरु नानक देव जी ने अपने उपदेशों में तीन मुख्य सिद्धांतों को जीवन में अपनाने की सलाह दी: नाम जपो (ईश्वर का नाम लेना), किरत करो (ईमानदारी से काम करना), और वंड छको (दूसरों के साथ बांटना)।
2. गुरु नानक जयंती कब और कैसे मनाई जाती है?
- तिथि: गुरु नानक जयंती कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है, जो हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक महीने की पूर्णिमा होती है। यह दीपावली के 15 दिन बाद आती है।
- अखंड पाठ: गुरु नानक जयंती से पहले सिख मंदिरों में गुरु ग्रंथ साहिब का अखंड पाठ किया जाता है, जिसमें 48 घंटे तक लगातार गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ होता है।
- नगर कीर्तन: जयंती से एक दिन पहले “नगर कीर्तन” निकाला जाता है, जिसमें गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं का प्रचार किया जाता है और लोग गीत, भजन, और कीर्तन गाते हुए नगर में परिक्रमा करते हैं।
3. मुख्य आयोजन और धार्मिक अनुष्ठान
- सुबह की प्रार्थना: गुरु नानक जयंती के दिन सुबह-सुबह सिख श्रद्धालु गुरुद्वारों में एकत्रित होते हैं और “आसा की वार” (सिख ग्रंथ के भजन) का पाठ करते हैं।
- लंगर सेवा: इस दिन विशेष लंगर का आयोजन होता है, जिसमें श्रद्धालुओं को मुफ्त भोजन परोसा जाता है। यह सेवा गुरु नानक जी के “सेवा” और “वंड छको” (साझा करना) के सिद्धांत का प्रतीक है।
- शब्द कीर्तन: गुरु नानक जयंती पर गुरुद्वारों में गुरु नानक देव जी के जीवन और उनके संदेशों से जुड़ीं शब्द-कीर्तन कीर्तन का आयोजन किया जाता है, जिससे लोग उनके उपदेशों को सुनकर प्रेरित होते हैं।
4. गुरु नानक देव जी के उपदेश और उनके जीवन का महत्व
- एक ईश्वर का सिद्धांत: गुरु नानक जी ने बताया कि ईश्वर एक है और हम सभी के भीतर मौजूद है। उन्होंने जाति, धर्म और समुदाय के भेदभाव को अस्वीकार करते हुए सभी को समानता का संदेश दिया।
- करुणा और परोपकार: गुरु नानक जी का जीवन करुणा और परोपकार के उदाहरण से भरा था। वे अपने अनुयायियों को यही सिखाते थे कि वे दूसरों की सहायता करें और सभी के प्रति दयालु बनें।
- सादा जीवन: गुरु नानक जी का मानना था कि इंसान को सादा जीवन जीना चाहिए और अपनी मेहनत से अर्जित किए गए धन को दूसरों के साथ बांटना चाहिए।
5. गुरु नानक जयंती का सांस्कृतिक महत्व
- भाईचारा और सांप्रदायिक सौहार्द्र: यह पर्व सिख समुदाय के साथ-साथ अन्य समुदायों को भी जोड़ने का काम करता है। गुरु नानक जी के उपदेश केवल सिखों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए हैं। उनके संदेश सभी जाति, धर्म और वर्ग के लोगों के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण हैं।
- समाज सुधारक के रूप में: गुरु नानक देव जी ने समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए और ईश्वर के नाम का स्मरण करके सही रास्ते पर चलना चाहिए।
6. आज के समय में गुरु नानक देव जी का संदेश
- आज भी गुरु नानक देव जी का संदेश मानवता के लिए प्रासंगिक है। उनके उपदेश भाईचारा, शांति, और एकता का प्रतीक हैं। उन्होंने हमें सिखाया कि हम अपनी जिम्मेदारियों को निभाते हुए दूसरों की सहायता करें और सत्य के मार्ग पर चलें।
- उन्होंने धर्म, जाति और पंथ के भेदभाव को खत्म करने और सभी के साथ प्रेम और समानता का व्यवहार करने का संदेश दिया, जो आज के समाज में एकता और शांति की दिशा में सहायक हो सकता है।
गुरु नानक जयंती केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह समाज में एकता, शांति और भाईचारे का संदेश भी है। गुरु नानक देव जी के जीवन से हमें करुणा, परोपकार और सच्चाई के मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है। उनका जीवन मानवता के लिए एक मिसाल है, और उनके उपदेश हमें अच्छे और सच्चे जीवन जीने का मार्गदर्शन करते हैं।