गणेश जी की मूर्ति की सूंड (सूंड़) की दिशा को लेकर विशेष महत्व है, और इसे सही दिशा में स्थापित करना शुभ माना जाता है। यहां बताया गया है कि गणेश जी की सूंड किस तरफ होनी चाहिए
1. बाईं तरफ की सूंड (वामांगी गणेश):
- अर्थ: बाईं तरफ की सूंड वाले गणेश जी को “वामांगी गणेश” कहा जाता है।
- महत्व: यह सूंड वाली मूर्ति को सबसे शुभ और सौम्य माना जाता है। इसे घर, कार्यालय या पूजा स्थल पर रखना बहुत शुभ होता है, क्योंकि यह सुख-शांति और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
- उपयोग: वामांगी गणेश की मूर्ति को सामान्य पूजा, गणेश चतुर्थी या किसी नए कार्य की शुरुआत के समय स्थापित किया जाता है।
2. दाईं तरफ की सूंड (दक्षिणावर्ती गणेश):
- अर्थ: दाईं तरफ की सूंड वाले गणेश जी को “दक्षिणावर्ती गणेश” कहा जाता है।
- महत्व: इस सूंड वाली मूर्ति को पूजा में अधिक सावधानी और अनुशासन के साथ रखा जाना चाहिए। दक्षिणावर्ती गणेश को तांत्रिक पूजा का प्रतीक माना जाता है और इसे स्थापित करने के लिए विशेष अनुष्ठान और नियमों का पालन करना होता है।
- उपयोग: इस मूर्ति को घर में रखने के बजाय मंदिरों या विशेष पूजा स्थलों पर रखा जाता है।
3. सीधी सूंड (मध्यवर्ती गणेश):
- अर्थ: कुछ मूर्तियों में गणेश जी की सूंड सीधे आगे की ओर होती है।
- महत्व: यह सूंड मोक्ष का प्रतीक मानी जाती है और इसे पूजा के लिए शुभ माना जाता है।
निष्कर्ष :
गणेश जी की मूर्ति की सूंड का बाईं ओर होना सबसे शुभ और आसान माना जाता है, खासकर घर और सामान्य पूजा के लिए। वहीं, दाईं तरफ की सूंड वाली मूर्ति को रखने के लिए विशेष नियमों और अनुष्ठानों का पालन करना चाहिए।