fbpx

अष्टछाप के कवि कौन है , आइये जानते है

अष्टछाप के कवि भारतीय भक्ति काव्य धारा के महत्वपूर्ण कवि हैं, जो भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति और वैष्णव परंपरा से जुड़े थे। अष्टछाप का गठन वल्लभाचार्य और उनके पुत्र विट्ठलनाथ द्वारा किया गया था। इन आठ कवियों को वल्लभ संप्रदाय के प्रमुख भक्त-कवि माना जाता है, जिन्होंने श्रीकृष्ण की महिमा और उनके लीलाओं का वर्णन अपने काव्य में किया।

अष्टछाप के आठ कवि

  1. कुंभनदास:
    • कुंभनदास अष्टछाप के सबसे प्रमुख और प्रसिद्ध कवि थे। वे वृन्दावन के निवासी थे और भगवान श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त थे। उनके काव्य में भक्ति और वैराग्य के गहरे भाव मिलते हैं।
    • प्रसिद्ध रचना: “प्रभु जी तुम चंदन, हम पानी”
  2. सूरदास:
    • सूरदास को हिन्दी साहित्य के महान कवियों में गिना जाता है। वे अष्टछाप के सबसे लोकप्रिय कवि थे, जिन्होंने श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं और राधा-कृष्ण प्रेम का वर्णन किया। उनकी रचनाओं में कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन मिलता है।
    • प्रसिद्ध रचना: “मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो”
  3. परमानंददास:
    • परमानंददास ने अपनी रचनाओं में कृष्ण की विभिन्न लीलाओं का वर्णन किया है। वे अत्यंत सरल भाषा और शैली में भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति व्यक्त करते थे।
    • प्रसिद्ध रचना: “मधुराष्टक”
  4. कृष्णदास:
    • कृष्णदास अष्टछाप के प्रमुख कवि थे, जिन्होंने भगवान श्रीकृष्ण के प्रति अपने काव्य के माध्यम से भक्ति और प्रेम प्रकट किया। उनकी रचनाओं में भगवान की लीलाओं का सजीव वर्णन मिलता है।
  5. चित्तस्वामी:
    • चित्तस्वामी ने भगवान श्रीकृष्ण के प्रति भक्ति के गीत लिखे और उनकी लीलाओं का सुंदर वर्णन किया। वे भगवान के गुणगान और भक्ति में तल्लीन रहते थे।
  6. गोविंदस्वामी:
    • गोविंदस्वामी ने अपने काव्य में भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं और राधा-कृष्ण के प्रेम का वर्णन किया। वे अत्यंत भावुक और भक्तिपूर्ण शैली में लिखते थे।
  7. नंददास:
    • नंददास ने भगवान श्रीकृष्ण की रास लीलाओं और बाल लीलाओं का विस्तार से वर्णन किया। उनके काव्य में राधा-कृष्ण प्रेम की सुंदर झलक मिलती है।
    • प्रसिद्ध रचना: “अनंग रास”
  8. छीतस्वामी:
    • छीतस्वामी भी अष्टछाप के कवियों में से एक थे। वे भगवान श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम और भक्ति के काव्य लिखते थे, जिसमें भक्ति भावना की प्रमुखता होती थी।

अष्टछाप की विशेषताएँ

  • भक्ति काव्य: अष्टछाप के सभी कवियों की रचनाओं में भगवान श्रीकृष्ण के प्रति अनन्य भक्ति और प्रेम व्यक्त किया गया है। उन्होंने अपने काव्य के माध्यम से श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं, रास लीला, और उनके गुणों का विस्तार से वर्णन किया।
  • वल्लभ संप्रदाय का प्रभाव: सभी कवि वल्लभाचार्य और उनके पुत्र विट्ठलनाथ के अनुयायी थे, और उन्होंने वैष्णव परंपरा के अनुसार श्रीकृष्ण की भक्ति को बढ़ावा दिया।
  • सांगीतिक रूप: अष्टछाप के कवियों की रचनाओं को संगीत के साथ गाया जाता था, जिससे उनका काव्य अधिक प्रभावशाली और भावपूर्ण बनता था।

निष्कर्ष:

अष्टछाप के कवियों ने भक्ति और प्रेम के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं और गुणों का वर्णन किया। इन आठ कवियों ने हिन्दी भक्ति साहित्य को समृद्ध किया और वल्लभ संप्रदाय की परंपरा को स्थापित किया।

More Topics

लखपति दीदी के सपने हो रहे साकार, बच्चों का भविष्य कर रही सुरक्षित

पूरब टाइम्स रायपुर। जिले के अभनपुर ब्लॉक के डोमा...

जानिए भारत के सबसे बड़े रेलवे स्टेशन के बारे में

भारत का सबसे बड़ा रेलवे स्टेशन गोरखपुर रेलवे स्टेशन...

फ्री मोबाइल : नई अपडेट्स और ऑफर्स की जानकारी

फ्री मोबाइल (Free Mobile) फ्रांस का एक प्रमुख मोबाइल...

किसानों को लक्ष्य का लगभग शत-प्रतिशत रासायनिक खाद वितरित

पूरब टाइम्स रायपुर । प्रदेश में चालू खरीफ सीजन...

अवन्ती का राजा कौन था ? जानिए प्राचीन इतिहास

प्राचीन भारत में अवन्ति एक प्रमुख जनपद था, जो...

Follow us on Whatsapp

Stay informed with the latest news! Follow our WhatsApp channel to get instant updates directly on your phone.

इसे भी पढ़े