सावन का महीना शुरू होने वाला है. इसके साथ ही कांवड़ की शुरुआत हो जाएगी. क्या आपको मालूम है कि रावण किस तरह पहला कांवड़ ले जाने वाला बन गया था, जिससे उसने भगवान शिव पर गंगाजल चढ़ाया था.
सावन का महीना भगवान शिव का पवित्र महीना माना जाता है. इस महीने में कांवड़ यात्रा होती है, जो 22 जुलाई से शुरू हो रही है. ये शिवरात्रि पर खत्म होती है. सावन का महीना 22 जुलाई से शुरू होकर 19 अगस्त तक चलेगा. क्या आपको मालूम है कि कांवड़ की शुरुआत कैसे हुई. फिर ये कैसे बढ़ती चली गई. अब कांवड़ ले जाने के लिए काफी संख्या में लोग जाते हैं. हालांकि पहले ऐसा नहीं था. ये भी माना जाता है कि रावण पहला कांवड़ यात्री था.
कांवड़ यात्रा जब सावन में शुरू होती है तो मोटे तौर पर जुलाई का वो समय होता है जबकि मानसून अपनी बारिश से पूरे देश को भीगा रहा होता है. इसकी शुरुआत श्रावण मास की शुरुआत से होती है. ये 13 दिनों तक यानि श्रावण की त्रयोदशी तक चलती है. इसका संबंध गंगा के पवित्र जल और भगवान शिव से है. इस बार ये यात्रा 22 जुलाई से प्रस्तावित थी.
सावन के महीने में कांवड़ यात्रा के लिए श्रृद्धालु उत्तराखंड के हरिद्वार, गोमुख और गंगोत्री पहुंचते हैं. वहां से पवित्र गंगाजल लेकर अपने निवास स्थानों के पास के प्रसिद्ध शिव मंदिरों में उस जल से चतुर्दशी के दिन शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं. दरअसल कांवड़ यात्रा के जरिए दुनिया की हर रचना के लिए जल का महत्व और सृष्टि को रचने वाले शिव के प्रति श्रृद्धा जाहिर की जाती है. उनकी आराधना की जाती है. यानि जल और शिव दोनों की आराधना.