हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह का आखिरी प्रदोष व्रत रविवार 8 जून को है. रविवार के दिन पड़ने के कारण इसे रवि प्रदोष व्रत कहा जाएगा. यह व्रत हमेशा दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है. इस दिन देवों के देव महादेव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है. साथ ही, मनोकामना पूर्ति के लिए व्रत भी रखा जाता है| ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर कई मंगलकारी और दुर्लभ योगों का निर्माण हो रहा है. ऐसे में इन शुभ योगों में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करने से हर एक मनोकामना पूरी हो सकती है. ऐसे में आइए जानते हैं कि रवि प्रदोष व्रत पर कौन से योग बन रहे हैं|
रवि प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त : ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 8 जून को सुबह 07:17 मिनट पर शुरू होगी. वहीं, इस तिथि का समापन 9 जून को सुबह 09:35 मिनट पर होगा. ऐसे में इस शुभ अवसर पर शिव पूजा का समय शाम को 7:18 मिनट से लेकर 09:19 मिनट तक रहेगा|
शिव योग: ज्योतिष के अनुसार, रवि प्रदोष व्रत पर मंगलकारी शिव योग का संयोग बनने जा रहा है. इस योग का निर्माण 8 जून को रात 12:19 मिनट होकर इसका समापन 9 जून को दोपहर 1:19 मिनट पर होगा. ऐसे में इस योग में महादेव की पूजा करने से व्यक्ति की हर एक मनोकामना पूरी हो सकती है|
शिववास योग: रवि प्रदोष व्रत पर देवों के देव महादेव 8 जून को सुबह 7:17 मिनट तक कैलाश पर विराजमान रहेंगे. इसके बाद भोलेनाथ नंदी की सवारी करेंगे. इस दौरान भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति को सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होगी|
विशाखा नक्षत्र का संयोग: ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर स्वाति और विशाखा नक्षत्र का संयोग भी बन रहा है. इसके साथ ही बव, बालव और तैतिल करण के योग का भी निर्माण हो रहा है. इन योग में देवों के देव महादेव की भक्ति भाव से पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है|