मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि भारतीय कानून के तहत, एक महिला स्वयं बलात्कार का अपराध नहीं कर सकती, लेकिन वह किसी पुरुष को इस अपराध के लिए उकसाने या सहायता करने की दोषी हो सकती है। यह निर्णय न्यायमूर्ति गुरपाल सिंह अहलुवालिया की एकल पीठ ने दिया, जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया कि भारतीय दंड संहिता की धारा 376 के तहत बलात्कार का अपराध केवल पुरुषों द्वारा किया जा सकता है। हालांकि, यदि कोई महिला किसी पुरुष को बलात्कार करने के लिए उकसाती है या उसकी सहायता करती है, तो उसे आपराधिक षड्यंत्र या सहायता के लिए दोषी ठहराया जा सकता है।
यह फैसला एक मामले के संदर्भ में आया, जिसमें एक महिला पर आरोप था कि उसने एक पुरुष को नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार करने के लिए उकसाया था। न्यायालय ने इस मामले में कहा कि यद्यपि महिला स्वयं बलात्कार का अपराध नहीं कर सकती, लेकिन उसकी भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता और उसे सह-अपराधी माना जा सकता है।
यह निर्णय भारतीय कानून में लैंगिक भूमिकाओं और अपराध की परिभाषा के संदर्भ में महत्वपूर्ण है, जो यह स्पष्ट करता है कि महिलाएं भी कुछ परिस्थितियों में अपराध में सह-अपराधी हो सकती हैं।