fbpx

Total Users- 610,218

Total Users- 610,218

Friday, January 24, 2025

श्रमिक अधिकारों पर अतिक्रमण करवाने के लिए जिम्मेदार है ,छत्तीसगढ़ शासन श्रम आयुक्त कार्यालय की गैर जिम्मेदाराना कार्यवाही प्रक्रिया

श्रम कानून प्रावधान का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन करने वालों का संरक्षक कौन है ?

श्रमायुक्त कार्यालय के अनियमित कार्य व्यवहार पर संज्ञान लेने वाला क्या कोई है ?

क्या कार्यालय श्रम सचिव अपनी पदेन जिम्मेदारियां को पूरा करने के लिए कर्तव्य निष्ठ है ?

पूरब टाइम्स , रायपुर . इन दिनों छ.ग. के श्रम विभाग के द्वारा अविधिक ढंग से श्रमिकों के हित की अनदेखी करना चर्चा का विषय बन गया है. हालात ये है कि शिकायतों के बाद नोटिसें देने के बाद भी विभाग के कानों में जूं नहीं रेंगती . पहले श्रम विभाग के द्वारा दुर्घटना के वक़्त , न्यायोचित मुआवजा प्राप्त करने के लिये , उचित मदद ना करने की शिकायत उद्योग विभाग के श्रमिक करते थे. अब इस विभाग का उदासीन रवैया असंगठित मजदूरों के अलावा भवन निर्माण के मजदूरों के साथ भी दिखाई देने लगा है. सूत्रों की मानें तो अनेक बड़े सरकारी कार्यों में कार्यरत बड़े ठेकेदार, श्रम विभाग के नियमों की खुले आम अवहेलना करते हैं. उनकी शिकायत व नोटिस तक देने के बाद श्रम विभाग , उन निर्माण विभागों जैसे जल संसाधन विभाग , लोक निर्माण विभाग इत्यादि को पत्रक देकर गड़बड़ियों पर कार्यवाही करने से बुचकता रहता है. पूरब टाइम्स की जानकारी में ऐसे ही अनेक मामले आयें हैं जिनके तथ्यों को जुटाकर उनका विष्लेषण किया जा रहा है. श्रम विभाग की अनदेखी पर पूरब टाइम्स की यह रिपोर्ट ..

श्रमिक अधिकार को जानिए 

श्रमिक अधिकार हर व्यक्ति का मूल अधिकार है. ऐसा व्यक्ति जो किसी भी प्रकार के रोजगार में लगा है , वह अपने श्रमिक अधिकार को अभिप्राप्त करने का हक़दर है । भारत का श्रमिक अधिकार कानून प्रत्येक श्रमिक को उसके कार्य और कार्यस्थल के आधार पर एक सुरक्षित और सम्मानजनक कार्य वातावरण प्रदान करने में सक्षम हैं। लेकिन दुर्भाग्य से, कई बार इन अधिकारों का उल्लंघन होता है। जिसका सबसे बड़ा कारण श्रमिक अधिकार कानूनी कार्यवाही और प्रावधान की जानकारी और जन जागरूकता का अभाव है । छत्तीसगढ़ में श्रम कानून के प्रति जागरूक लोगों की कमी है जिसका फायदा उठाकर श्रमायुक्त कार्यालय छत्तीसगढ़ अपने कार्य व्यवहार की अनियमितताओं को छिपाने के लिए संरक्षण देने में सफल होता नजर आ रहा है ।

श्रम कानून संबंधित कुछ प्रमुख विषयों पर चर्चा की जानी आवश्यक हैं क्योंकि इन विषय पर जन जागृति नहीं होने से श्रमिक अधिकारों का अतिक्रमण होता है :

  1. वेतन और भत्तों में गड़बड़ी
    न्यूनतम वेतन का उल्लंघन: कई बार श्रमिकों को कानूनी तौर पर निर्धारित न्यूनतम वेतन से कम दिया जाता है। ओवरटाइम के लिए उचित भुगतान न होने से अतिरिक्त काम करने के बावजूद श्रमिकों को उचित ओवरटाइम भत्ता नहीं दिया जाता। इसी तरह बोनस और अन्य भत्तों में कटौती किए जाने से त्योहारों या अन्य अवसरों पर मिलने वाले बोनस और भत्तों में अनधिकृत कटौती की जाती है।
  2. कार्य समय और अवकाश
    अधिक काम के घंटे प्रमुख समस्या है. श्रमिकों से कानूनी तौर पर निर्धारित से अधिक घंटे काम करवाया जाता है। साप्ताहिक अवकाश न देना श्रमिक अधिकारों पर अतिक्रमण है श्रमिकों को साप्ताहिक अवकाश नहीं दिया जाता है  अवकाश के दिन भी काम करवाया जाता है। छुट्टियों का भुगतान न होना से श्रमिक वर्ग व्यथित है त्योहारों या अन्य अवसरों पर मिलने वाली छुट्टियों का भुगतान नहीं किया जाता।
  3. कार्य वातावरण
    असुरक्षित कार्य वातावरण बड़ी समस्या है कई कार्यस्थलों पर सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया जाता जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है। स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी श्रमिक के चुनौती है अस्वच्छ कार्य वातावरण के कारण श्रमिक कई प्रकार की बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं। शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न रोकने के कानूनी उपाय कागजों पर है परिणाप स्वरूप कई बार श्रमिकों को उनके वरिष्ठों या सहकर्मियों द्वारा शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है।
  4. रोजगार सुरक्षा
    हजारी रजिस्टर का पंजीकृत न होना और उसका अनुश्रवण शासकीय स्तर से नहीं होने से अन्यायपूर्ण बर्खास्तगी का डर नियोक्ता बनाता रहता है .श्रमिकों को बिना किसी वैध कारण के बर्खास्त कर दिया जाता है। नौकरी से छंटनी श्रमिकों को मासिक प्रताड़ना देती है और आर्थिक मंदी या अन्य कारणों से बड़ी संख्या में श्रमिकों को नौकरी से निकाल दिया जाता है। ठेका श्रम का दुरुपयोग आम समस्या है ठेका श्रमिकों को स्थायी कर्मचारियों की तुलना में कम वेतन और सुविधाएं दी जाती हैं।
  5. संगठन के अधिकार
    ट्रेड यूनियन बनाने में बाधाएं बहुत सी है , श्रमिकों को ट्रेड यूनियन बनाने से रोका जाता है।
    सामूहिक सौदेबाजी का अधिकार न होने के कारण श्रमिकों को अपनी मांगों को लेकर प्रबंधन के साथ बातचीत करने का मौका नहीं मिलता।

श्रमिक अधिकारों का उल्लंघन क्यों होता है ?

कानूनों का प्रभावी कार्यान्वयन न होना श्रम क्षेत्र की बड़ी समस्या है । श्रम कानूनों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं होने के कारण श्रमिक अधिकारों का हनन होता है।
श्रमिकों की जागरूकता का अभाव श्रम कानून कागजी कार्यवाही तक सीमित है । कई श्रमिकों को अपने अधिकारों के बारे में जानकारी नहीं होती है । श्रमिक संगठनों की कमजोरी इस समस्या का आधारभूत कारण है ।कई बार श्रमिक संगठन प्रभावी ढंग से श्रमिकों की समस्याओं को उठा नहीं पाते हैं।

श्रमिक अधिकारों का उल्लंघन एक गंभीर समस्या है जिसका समाधान करना आवश्यक है। सरकार, नियोक्ता और श्रमिक संगठनों को मिलकर इस समस्या से निपटने के लिए प्रयास करने होंगे। श्रमिकों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना चाहिए और अपने अधिकारों के लिए लड़ने में संकोच नहीं करना चाहिए।

अमोल मालुसरे 
समाज सेवक एवं सामाजिक कार्यकर्ता

More Topics

गुड़ के पोषण और स्वास्थ्य लाभ: जानें क्यों है यह फायदेमंद

भारत में गुड़ एक लोकप्रिय मीठा विकल्प है, जो...

प्रेग्नेंसी के समय कुछ महत्वपूर्ण गलतियों से बचना बेहद जरूरी

प्रेगनेंसी एक महिला के जीवन में एक बेहद महत्वपूर्ण...

गरियाबंद : प्राकृतिक और धार्मिक सौंदर्य का अद्भुत संगम

गरियाबंद जिला, छत्तीसगढ़, अपनी प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक महत्व...

कौन सा रुद्राक्ष पहनने से डिप्रेशन से मिलता है छुटकारा?

सनातन धर्म में रुद्राक्ष को शिव का अत्यंत पवित्र...

Follow us on Whatsapp

Stay informed with the latest news! Follow our WhatsApp channel to get instant updates directly on your phone.

इसे भी पढ़े