रायपुर: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी जीपी सिंह को बहाल करने का आदेश जारी कर दिया है। यह आदेश सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद जारी हुआ, जिसमें कोर्ट ने जीपी सिंह के पक्ष में फैसला सुनाते हुए उनकी अनिवार्य सेवानिवृत्ति को रद्द कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, उनकी सर्विस ब्रेक के दौरान के समस्त सेवा लाभ भी उन्हें प्रदान किए जाएंगे।
क्यों हुआ था निलंबन?
जीपी सिंह के खिलाफ पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान एक्सटॉर्शन, आय से अधिक संपत्ति, और राजद्रोह जैसे गंभीर मामलों में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इन आरोपों के आधार पर राज्य सरकार ने उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा था, जिसे केंद्र सरकार ने मंजूरी दी थी।
कानूनी लड़ाई का सफर
- कैट का फैसला: जीपी सिंह ने अपने निलंबन को केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (CAT) में चुनौती दी। कैट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाते हुए बहाली का आदेश दिया।
- हाईकोर्ट का निर्णय: केंद्र सरकार ने कैट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी, लेकिन हाईकोर्ट ने भी जीपी सिंह के पक्ष में निर्णय दिया।
- सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई: केंद्र सरकार ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले जाया।
- सुप्रीम कोर्ट की डिवीजन बेंच, जिसमें जस्टिस ऋषिकेश राय और जस्टिस एसबीएन भाटी शामिल थे, ने जीपी सिंह के पक्ष में फैसला सुनाया।
- बचाव पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पीएस पटवालिया और हिमांशु पांडे ने दलीलें पेश कीं।
आरोप खारिज
जीपी सिंह के खिलाफ दर्ज तीनों आपराधिक मामलों को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट में भी इन मामलों को खारिज करने का हवाला देते हुए बचाव पक्ष ने केंद्र सरकार के तीनों आधारों को काउंटर किया।
बहाली का आदेश
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद केंद्र सरकार ने जीपी सिंह को बहाल करने का आदेश जारी कर दिया। इस आदेश में उन्हें सर्विस ब्रेक के दौरान के सभी सेवा लाभ देने का प्रावधान भी शामिल है।
जल्द शुरू करेंगे सेवा
जीपी सिंह जल्द ही पुलिस मुख्यालय में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे। इसके बाद राज्य सरकार द्वारा उन्हें नियमानुसार पदस्थापित किया जाएगा।
यह निर्णय जीपी सिंह के लिए बड़ी राहत है और उनके करियर के लिए एक नई शुरुआत की ओर इशारा करता है।