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Tuesday, January 14, 2025

लखमा के उठाए मुद्दे पर भिड़े पूर्व CM व अरुण साव, बिना टेंडर पुल निर्माण पर विपक्ष का हंगामा

रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को सुकमा और दंतेवाड़ा के सरहदी गांवों में बिना टेंडर पुलिया निर्माण का मुद्दा जोरशोर से उठा। इस पर विपक्ष ने जमकर हंगामा किया और डिप्टी सीएम व पीडब्ल्यूडी मंत्री अरुण साव को घेरते हुए दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की।

बिना टेंडर पुल निर्माण पर विवाद

प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस विधायक कवासी लखमा ने पूछा कि बिना स्वीकृति के पुलिया निर्माण किस नियम के तहत किया गया। उन्होंने कहा, “यह कौन सा नियम है कि पहले पुल बनेगा, फिर टेंडर होगा?” लखमा ने निर्माण लागत अधिक होने और इसे जनता के पैसे की बर्बादी करार देते हुए दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की।

डिप्टी सीएम अरुण साव ने जवाब में कहा कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षाबलों की सामग्री पहुंचाने और बारिश में उनकी आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए लोक निर्माण विभाग ने जिला प्रशासन के निर्देश पर पुल निर्माण का काम शुरू किया। उन्होंने कहा कि इस काम के लिए “एक भी रुपए का भुगतान नहीं किया गया है।” साव ने बताया कि अब टेंडर प्रक्रिया पूरी कर एजेंसी तय की जाएगी।

पूर्व सीएम बघेल का पलटवार

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने डिप्टी सीएम पर निशाना साधते हुए कहा, “जब मंत्री स्वयं स्वीकार कर रहे हैं कि आचार संहिता के दौरान बिना टेंडर के काम हुआ, तो दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है?” बघेल ने इसे अफसरों को सरकार का संरक्षण मिलने का संकेत बताया।

सदन में तीखी नोकझोंक

पुल निर्माण पर चर्चा के दौरान कवासी लखमा और भाजपा विधायक अजय चंद्राकर के बीच भी तीखी बहस हुई। जब चंद्राकर ने लखमा से पूछा कि वह आखिरी बार सुकमा कब गए थे, तो लखमा ने पलटकर कहा, “तो क्या मैं पाकिस्तान में रहता हूं?” इस पर वन मंत्री केदार कश्यप ने तंज करते हुए कहा कि “आपके बड़े नेताओं के विचार तो पाकिस्तानियों जैसे हैं।” लखमा ने जवाब दिया, “तो आपके विचार बांग्लादेशियों वाले हैं क्या?”

डिप्टी सीएम साव का स्पष्टीकरण

डिप्टी सीएम साव ने कहा कि पुल निर्माण सुरक्षा के लिहाज से जरूरी था। उन्होंने स्पष्ट किया कि जिला प्रशासन के निर्देश पर काम शुरू किया गया था, लेकिन बाद में इसे रोक दिया गया। उन्होंने कहा कि टेंडर प्रक्रिया जारी है और तय एजेंसी को ही काम दिया जाएगा।

विधायकों का दैनिक भत्ता दोगुना

सत्र के दौरान छत्तीसगढ़ विधानसभा सदस्य वेतन, भत्ता और पेंशन संशोधन विधेयक 2024 सदन में पेश किया गया। इस विधेयक के तहत विधायकों का अतिरिक्त दैनिक भत्ता 1,000 रुपए से बढ़ाकर 2,000 रुपए कर दिया गया।

निष्कर्ष

बिना टेंडर पुल निर्माण और विधायकों के भत्ते में वृद्धि जैसे मुद्दों ने विधानसभा के शीतकालीन सत्र में हलचल मचाई। जहां एक ओर पुल निर्माण को लेकर सत्ता और विपक्ष आमने-सामने रहे, वहीं भत्ते में वृद्धि का प्रस्ताव बिना किसी विरोध के पारित हो गया।

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