-भिलाई, दुर्ग, रिसाली और चरोदा निगम क्षेत्र का नगरीय ठोस अपशिष्ठ मामला अब क्यों गर्मायेगा ?
-क्षेत्रीय अधिकारी पर्यावरण संरक्षण मंडल कब तक गैर जिम्मेदाराना कार्यवाही करेंगे ?
-निगम आयुक्त क्या नगरीय ठोस अपशिष्ठ संकलन आंकड़ों को प्रस्तुत कर पायेंगे ?
पूरब टाइम्स, रायपुर. पिछले कई माह से छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल की कार्य दक्षता बद से बदतर होते जा रही है. आलम यह है कि पर्यावरण संरक्षण में मदद करने वालों को, अनेक बार लिखित आग्रह के बाद भी, सदस्य सचिव द्वारा मिलने का समय नहीं दिया जाता है. विदित हो कि ये वही अधिकारी हैं जोकि कार्यालय में मिलने के समय की तख्ती लगाकर, उस समय अनुपलब्ध रहते हैं और मातहत स्टॉफ भी इस पर जानकारी रहित रहते हैं. जानकारी के अनुसार विधिक नोटिस को भी विधि अधिकारी के पास समयावधि में नहीं पहुंचाया जाता है. विभाग के द्वारा पूर्व में नोटिस तथा दण्डित किये गए अनेक प्रकरणों में आगे कोई कार्यवाही नहीं हो रही है. अनेक क्षेत्रीय अधिकारियों के द्वारा दी गई गलत रिपोर्ट व उनकी असंवेदनशील कार्यशैली को भी नज़र अंदाज़ कर दिया जाता है. पूर्व में भी पूरब टाइम्स ने इसी प्रकार के अनेक मुद्दों को शासन प्रशासन के सामने लाया था और उन पर कार्यवाही हुई थी. विभाग के मंत्री समेत उच्चाधिकारियों के संज्ञान में लाने पूरब टाइम्स की यह रिपोर्ट..
न्यायालयीन परिवाद की स्थिति में सदस्य सचिव पर्यावरण संरक्षण मंडल छत्तीसगढ़ की प्रशासकीय भूमिका क्या रहेगी ?
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सदस्य सचिव पर्यावरण संरक्षण मंडल छत्तीसगढ़ का पदेन कर्तव्य है कि वह छत्तीसगढ़ के नगरीय निकायों द्वारा रोजाना जनित होने वाले नगरीय ठोस अपशिष्ठ संकलन आंकड़ों को प्रावधानित नियमानुसार कार्यवाही प्रक्रिया में लाकर इसका वार्षिक प्रतिवेदन तैयार कर शासन स्तर पर प्रस्तुत करें लेकिन वर्तमान विडंबना पूर्ण स्थिति यह है कि सदस्य सचिव अरुण प्रसाद ने भिलाई, दुर्ग, रिसाली और चरोदा निगम क्षेत्र के जो आंकड़े क्षेत्रीय अधिकारी भिलाई के माध्यम से एकत्रित किए हैं उन्हें चुनौती देने वाली अमोल मालुसरे के नोटिस विषय पर सदस्य सचिव अरुण प्रसाद प्रतिक्रिया करने की स्थिति में नजर नहीं आ रहे हैं जिसका कारण क्या है यह जनता समझती है और आने वाले समय में न्यायालयीन परिवाद की स्थिति में लोकस्वास्थ्य संरक्षण मामले में अनियमित कार्याचरण के विरुद्ध आरोप प्रत्यारोप होंगे यह भी निश्चित है ।
क्षेत्रीय अधिकारी पर्यावरण संरक्षण मंडल भिलाई कार्यालय की फाइलों में दफ़न अनियमितताओं के प्रमाण कैसे उजागर होंगे ?
महामारी करोना के भयंकर प्रकोप के बाद पूरी दुनिया के साथ-साथ भारत भी पर्यावरण संरक्षण नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करवाने वाले कानून के प्रावधानों की सुनिश्चितता के प्रति सजग एवं सक्रिय होकर जवाबदेही के दृष्टिकोण से कार्य कर रहा है लेकिन छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल का सदस्य सचिव अपनी पदेन जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक नहीं है और नगरीय ठोस अपशिष्ठ का निपटान करने वाले ठेकदार फार्म अनियमितताओं के प्रति अनदेखी करने वाली शंकास्पद कार्यवाही कर छत्तीसगढ़ शासन से साथ-साथ केंद्र सरकार की छवि को धूमिल करने का कार्य व्यवहार करता नज़र आ रहा है लेकिन लोकस्वास्थ्य को सुरक्षित करने के लिए जन सामान्य स्तर से पहल कर विधिक नोटिस से चुनौती देकर सामाजिक कार्यकर्ता अमोल मालुसरे द्वारा लोक स्वास्थ्य संरक्षण की विधिक कार्यवाही प्रारंभ कर दी गई है इसलिए अब सदस्य सचिव अरुण प्रसाद कब प्रतिक्रिया देंगे इसका सभी को इंतजार है ।
नगर निगम आयुक्त रिसाली, भिलाई, दुर्ग और चरोदा अपने नगरीय ठोस अपशिष्ठ संकलन कार्यवाही का डेटा जगजाहिर करने को कब बाध्य होंगे ?
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क्षेत्रीय पर्यावरण संरक्षण मंडल भिलाई कार्यालय के दस किलोमीटर की परिधि में चार बड़े नगरीय निकाय है उल्लेखनीय है कि इन नगरीय निकायों के सीमा अंतर्गत घनी आबादी वाले क्षेत्र है जिनके द्वारा प्रतिदिन बड़ी मात्र में नगरीय ठोस अपशिष्ट का जनन किया जाता है इसलिए केंद्र शासन ने लोक स्वास्थ्य संरक्षण सुनिश्चित करवाने के लिए वर्षों पहले भिलाई में क्षेत्रीय अधिकारी कार्यालय खोलकर अपनी जिम्मेदारी पूरी की है लेकिन क्षेत्रीय अधिकारी पर्यावरण संरक्षण मंडल भिलाई अपने पदेन कर्तव्य सुनिश्चित करवाने के मामले में गैर जिम्मेदाराना कार्य व्यवहार कर रहा है और रिसाली, भिलाई, दुर्ग और चरोदा निगम द्वारा रोजाना जनित किए जाने वाले ऐसे अनियमित आंकड़े एकत्रित कर राज्य सरकार को भेज रहा है जिसे अमोल मालुसरे द्वारा नोटिस देकर प्रश्नांकित कर चुनौती दी है नोटिस विषय अनुसार क्षत्रिय अधिकारी कार्यालय के आंकड़ों का मिलान नगरीय निकायों के आंकड़ों से किए जाने पर कई गड़बड़ियां सामने आयेंगी लेकिन विडंबना यह है कि क्षेत्रीय अधिकारी भिलाई अपने-अपने कार्य क्षेत्र के नगरीय निकायों के आंकड़ों को सार्वजनिक करने की पदेन जिम्मेदारी पूरी नहीं कर रहा है और इस मामले में जन सामान्य की नोटिस पर प्रतिक्रिया नहीं देकर तानाशाही कार्य व्यवहार का प्रदर्शन कर रहा है ।