छत्तीसगढ़ में 1 जून 2024 से अब तक 1165.3 मिमी औसत वर्षा दर्ज की गई है। विभिन्न जिलों में वर्षा की जानकारी, जलवायु परिवर्तन का प्रभाव और कृषि पर असर का विश्लेषण।
रायपुर: छत्तीसगढ़ में एक जून 2024 से लेकर अब तक 1165.3 मिमी औसत वर्षा दर्ज की जा चुकी है। राज्य शासन के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा बनाए गए राज्य स्तरीय नियंत्रण कक्ष की ओर से संकलित जानकारी के अनुसार, 01 अक्टूबर 2024 तक राज्य के विभिन्न जिलों में वर्षा का रिकॉर्ड किया गया है। इस वर्षा ने न केवल कृषि के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है, बल्कि यह जल स्तर को भी बनाए रखने में सहायक सिद्ध हुआ है।
जिलों में वर्षा का वितरण
विभिन्न जिलों में वर्षा के आंकड़ों के अनुसार, बीजापुर जिले में सर्वाधिक 2377.7 मिमी वर्षा हुई है, जो इस वर्ष का सबसे अधिक रिकॉर्ड है। वहीं, बेमेतरा जिले में सबसे कम 606.6 मिमी वर्षा दर्ज की गई है। वर्षा के आंकड़े राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में विविधता दर्शाते हैं, जो स्थानीय जलवायु, भूगोल और पर्यावरण की स्थिति को दर्शाते हैं।
वर्षा का आंकड़ा जिलावार:
- बीजापुर: 2377.7 मिमी
- बेमेतरा: 606.6 मिमी
- सरगुजा: 634.5 मिमी
- सूरजपुर: 1160.8 मिमी
- बलरामपुर: 1731.2 मिमी
- जशपुर: 1064.1 मिमी
- कोरिया: 1127.4 मिमी
- मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर: 1088.7 मिमी
रायपुर जिले में 954.6 मिमी वर्षा हुई है, जबकि बलौदाबाजार में 1188.3 मिमी वर्षा हुई है। गरियाबंद में 1099.9 मिमी और महासमुंद में 969.6 मिमी वर्षा हुई है।
जलवायु परिवर्तन और इसके प्रभाव
छत्तीसगढ़ में हुई वर्षा का मुख्य कारण जलवायु परिवर्तन और मौसम के पैटर्न में बदलाव है। पिछले कुछ वर्षों में, मौसम के उतार-चढ़ाव ने कृषि उत्पादन पर गहरा असर डाला है। वर्षा की इस असामान्यता ने किसानों के लिए नई चुनौतियाँ पैदा की हैं, जिन्हें सही समय पर सही कदम उठाने की आवश्यकता है।
कृषि पर प्रभाव
छत्तीसगढ़ राज्य कृषि आधारित अर्थव्यवस्था पर निर्भर है। वर्षा की मात्रा का सीधा संबंध कृषि उत्पादन से है। इस वर्ष, बासमती धान, चना, मूँगफली जैसी फसलों की बुवाई को प्रभावित करने वाली वर्षा की मात्रा किसान की उपज के लिए महत्वपूर्ण है। राज्य सरकार ने किसानों को इस वर्षा से होने वाले लाभों को समझाने और कृषि के लिए बेहतर योजनाएँ बनाने पर जोर दिया है।
जल संरक्षण की आवश्यकता
इस वर्षा के बाद, जल स्तर में वृद्धि हुई है, लेकिन हमें जल संरक्षण की आवश्यकता है। राज्य सरकार ने जल संचयन के लिए कई योजनाएँ शुरू की हैं, जिनमें तालाबों का पुनर्निर्माण, बारिश के पानी का संग्रहण और जल संरक्षण के लिए जन जागरूकता कार्यक्रम शामिल हैं।
छत्तीसगढ़ में अब तक 1165.3 मिमी औसत वर्षा दर्ज की जा चुकी है, जो किसानों के लिए एक सकारात्मक संकेत है। लेकिन हमें यह याद रखना चाहिए कि जलवायु परिवर्तन और मौसम की अनिश्चितता से निपटने के लिए सतत जल प्रबंधन आवश्यक है। हमें अपनी जल संसाधनों का कुशलता से प्रबंधन करना होगा और जल संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करना होगा, ताकि भविष्य में भी हमारी कृषि और जल स्तर सुरक्षित रह सके।