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Tuesday, January 14, 2025

छ.ग. का जल संसाधन विभाग- जल संसाधन के एकाउंट और ठेकेदार का छिपा रिश्ता उजागर करने वाले सक्रिय हो गये हैं!

पूरब टाइम्स, रायपुर . पिछले दिनों पूरब टाइम्स ने जल संसाधन विभाग के श्रमिक अधिकार विषय पर प्रमुख अभियंता के गैर ज़िम्मेदाराना कार्य व्यवहार पर जन सामन्य की नोटिस के बार में खबर छाप कर , अनेक उच्चाधिकारियों को नोटिस भी दिया था . जानकारी के अनुसार , इसके लिये राज्य शासन सक्रिय हो गया है . जल संसाधन विभाग के प्रमुख अभियंता उइके से मिलकर उन्हें भी अनेक ठेकेदारों व अधिकारियों की अनियमितताओं के बारे में संज्ञान करवाया था , जिस पर उन्होंने जांच व कार्यवाही का आश्वासन दिया था . जब फिर से उन मामलों की स्थिति देखत हैं तो किसी भी प्रकार की कोई भी एक्शन होते नहीं दिखाई देता है . अब लगता है कि पुराने कांग्रेसी शासन में हुई गड़बड़ियों व भ्रष्टाचार में , कहीं प्रमुख अभियंता पर्दा डालने व अपने मातहत अधिकारियों से कागज़ ठीक करवा , विभाग को पाक -साफ दिखाने की कोशिश कर रहे हैं . प्रमुख अभियंता के द्वारा बताये गए अधिकारी भी , दूसरे अधिकारी के नाम से अपना पल्ला झाड़ रहे हैं . ऐसा लगता है कि बारीकी से जांच कराने से राज्य शासन द्वारा दी गई प्रशासनिक स्वीकृति व जल संसाधन विभाग द्वारा कराये गए कार्यों में होने वाले फर्क़ से व विलम्ब से , प्रदेश सरकार को ना केवल हज़ारों करोड़ का नुकसान साबित होगा बल्कि किसान , उद्योगों व आम जनता को मिलने वाले समुचित लाभ से भी वंचित होना पाया जायेगा . पूरब टाइम्स की एक रिपोर्ट ..

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा अपना असंतोषजनक शासन विधानसभा चुनाव में असम्मान जनक विधायक संख्या हासिल करने के कारण गंवाने के बाद भूपेश बघेल की चमचागिरी करने वाले ठेकेदारों को इसका खामियाजा भुगतान पड़ रहा है. वर्तमान भाजपा की सरकार ने कुछ जागरूक समाज सेवकों की पहल पर अघोषित तौर पर ऐसे ठेकेदारों , जो बड़ी गड़बड़ियां कर शासन की ख्याति और छवि को ठेस लगा सकते है , को चिन्हांकित करने का फैसला लिया जाना प्रदर्शित होने लगा है , सूत्रों के अनुसार आने वाले समय में जल संसाधन विभाग के वित्त और तकनीकी अनुश्रवण कार्यवाही की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के मामले में जल संसाधन विभाग छत्तीसगढ़ को लोक स्वास्थ्य विभाग, वित्त विभाग, पर्यावरण विभाग और श्रम विभाग इन चारों स्तरों से जवाबदेही सुनिश्चित करवाने के लिए अनुशासनात्मक कार्यवाही प्रारंभ होगी . परिणाम स्वरूप जल संसाधन विभाग का लेखा अधिकारी, जो गड़बड़ियां फाइलों में दबाएं हुए है, वो उजागर हो जाएंगी ।

विगत भूपेश बघेल सरकार कार्यकाल में कुछ ठेकदार फर्म की एक तरफा तूती बोलती थी. ये ठेकेदार जल संसाधन विभाग के अधिकारियों पर अवांछित दबाव बनाकर नियमों के विपरीत प्रशासकीय कार्य व्यवहार करने के लिए जल संसाधन विभाग के शीर्ष अधिकारियों को मजबूर करते थे. गौर तलब रहे कि ठेका अनुबंध शर्तों को तोड़कर ठेका कार्य के दस्तावेजीकरण प्रक्रिया में गड़बड़ी पूर्ण कार्य व्यवहार करा बड़ी और गंभीर अनियमितताओं को कुछ अनियमित ठेकेदार  अंजाम देते थे . जिसके कारण शासन और जल संसाधन विभाग के वित्तीय कोष को बेहद बड़ा नुकसान होता रहा है लेकिन अब भाजपा की सरकार आ गई है कई मामलों में अनियमित ठेकेदार और प्रशासकीय दृष्टिकोण से उनके आपराधिक कार्य व्यवहार नियंत्रित होते नजर आ रहें है लेकिन जल संसाधन विभाग का लेखा अधिकारी शासन के नियंत्रण से बाहर कब तक रहेगा यह प्रश्न वर्तमान में अनुत्तरित है ?

जल संसाधन विभाग के प्रमुख अभियंता कार्यालय के गलियारों में इन दिनों कुछ असामान्य सी गतिविधियां देखने को मिल रहीं हैं क्योंकि पहले जिन ठेकेदारों का बोलबाला जल संसाधन विभाग में विशेषकर भूपेश बघेल के कार्यकाल में था , आजकल उनके ठेका कार्यों को जांच के दायरे में लाने के लिए अधिकारियों का एक गुट सक्रिय होने से भूपेश बघेल का करीबी होने का दावा करने वाले महारथी ठेकदार हैरान परेशान दिखाई पड़ रहे है , जिसके कारण जल संसाधन विभाग के लेख अधिकारी को संदेह पूर्वक भूमिका में देखा जा रहा है . गौरतलब रहे कि कुछ समाज सेवकों की नोटिस कार्यवाही के बाद जल संसाधन विभाग के लेखा अधिकारी को जवाबदेही वाली कार्यवाही का सामना करना पड़ रहा है. लेखा अधिकारी वित्तीय अनियमितताओं के मामलों को उजागर करने के लिए आवश्यक प्रमाण नियमानुसार सामने लाए इसके लिए चौतरफा प्रयास किया जा रहा है इसलिए अब यह जानने की उत्सुकता सभी को हैं कि लेखा अधिकारी कब तक गड़बड़ियां छिपा पायेगा ?

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