श्रमिक अधिकार मामले पर जन जागृति लाने की कार्यवाही प्रक्रिया प्रारंभ हो गई है।
सामाजिक अंकेक्षण करके श्रमिक अधिकार पर अतिक्रमण करने वालों को पहचाना जायेगा।
श्रम विभाग के अधिकारियों से भी सीधे पत्र व्यवहार कर वस्तुस्थिति की जानकारी मांगी जायेगी।
पूरब टाइम्स , रायपुर . छत्तीसगढ़ शासन के निर्माण विभागों में रोजाना लाखों की संख्या में श्रमिक कार्य करते हैं . इन श्रमिकों के हित की रक्षा करने के लिये श्रम विभाग द्वारा बनाए गये नियम कानूनों का परिपालन आवश्यक होता है . जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ के निर्माण विभागों में से एक प्रमुख , जल संसाधन विभाग , के एक बड़े ठेकेदार , द्वारा केवल विभाग के लिये आवश्यक कागज़ी खाना पूर्ति में इन नियमों का परिपालन किया गया था जबकि उसके निर्माण कार्य में श्रम नियमों की धज्जियां उड़ाई गई थी. पूरब टाइम्स को कुछ सामजिक संस्थाओं व कार्यकर्ताओं के संज्ञान आने पर उन्होंने विभाग के सर्वोच्च अधिकारियों को , उस ठेकेदार की जांच कर दंडात्मक कार्यवाही करने का नोटिस दिया है पर अभी तक किसी भी प्रकार की कार्यवाही दिखाई नहीं दे रही है. प्राप्त सूचना के अनुसार उस बड़े ठेकेदार से शुरू हुए मामले की आंच अब प्रदेश की अन्य निर्माण एजेंसियों पर भी आयेगी , साथ ही नियमों की अवहेलना ना रोकने वाले अधिकारियों पर भी. असंगठित मजदूरों के हित में कार्य करने वाली सामाजिक संस्था , अब कानूनी विशेषज्ञों की मदद से सामाजिक अंकेषण करवाने की तैयारी कर रही है , जिससे दूरस्थ असंगठित मजदूरों का हित साध्य होगा. पूरब टाइम्स की एक रिपोट..
जल संसाधन विभाग के द्वारा कराए जा रहे निर्माण कार्य स्थलों पर श्रमिक अधिकार सुनिश्चित करने के लिए प्रयास प्रारंभ हुए
वैसे तो श्रमिक अधिकार का विषय सिर्फ कागजी खानापूर्ति तक सीमित नजर आता है क्योंकि जो समाजसेवी लोग श्रम अधिकार विषय के लिए अपना योगदान दे रहे हैं , उनके द्वारा दिया जा रहा योगदान सिर्फ धरना प्रदर्शन और क्रांतिकारी भाषण देने तक सीमित होता इसलिए श्रमिक अधिकार मामला सीमित दायरे में दिखाई पड़ता है । श्रमिक अधिकार विषय के लिए जो लोग कार्य कर रहे हैं , उनके पास विधि का ज्ञान नहीं होना , सबसे बड़ा अड़चन खड़ा करने वाला विषय है. लेकिन अब स्थिति बदलने वाली है क्योंकि विगत दिनों जल संसाधन विभाग से संबंधित ठेका कार्यस्थल की वस्तुस्थिति जानने के लिए श्रमिक अधिकार विषय पर शोध कार्य करने वाली एक पहल सामाजिक अंकेक्षण के तौर पर प्रारंभ की गई है । जिसका उद्देश्य जल संसाधन ठेकेदारों के यहां कार्य कर रहे हैं श्रमिकों को मिलने वाले पारिश्रमिक, उनकी सुरक्षा और कार्य स्थल पर उनकी गरिमा स्थापित करने की स्थिति का विश्लेषण करना है जिससे कि जल संसाधन निर्माण कार्य क्षेत्र में श्रमिकों को व्यवहारिक सुरक्षा एवं संरक्षण प्रदान करना संभव हो सकेगा ।
जल संसाधन ठेकेदारों के लिए ठेका कार्य करने वाले श्रमिकों के श्रम अधिकार की वस्तुस्थिति अब उजागर होगी, पकड़ाएंगे ठेकेदार !
प्रदेश के जल संसाधन को संरक्षित और सुरक्षित करने का जिम्मा जल संसाधन विभाग का है क्योंकि हमारा प्रदेश कृषि प्रधान है । इसलिए जल संसाधन विभाग हमारी अर्थव्यवस्था के लिए बेहद महत्वपूर्ण है । उल्लेखनीय है कि, इस महत्वपूर्ण कार्य में श्रमिकों का सबसे अहम योगदान है क्योंकि जिन स्थानों पर श्रमिकों को जल संसाधन निर्माण कार्यों में नियोजित किया जाता है वह निर्जन होता है और आबादी क्षेत्र से अधिकांशतः दूर होता है । जल संसाधन विभाग के ठेकदारों के ठेका कार्यों में नियोजित श्रमिकों बड़ी संख्या होती हैं. उनके पास विधि के ज्ञान का अभाव होता है जिसके कारण ठेकेदार उनका शोषण करते हैं. लेकिन अब निजी स्तर से की जा रही पहल के बाद श्रमिकों को उनके अधिकारों का ज्ञान होगा और श्रम नेता अधिक सशक्त हो जाएंगे. इसका कारण यह होगा कि सामाजिक अंकेक्षण से प्राप्त होने वाले आंकड़े और शासकीय कार्यवाही की तुलनात्मक समीक्षा किए जाने पर तथ्य सामने आएंगे. जिससे श्रमिक अधिकार सुनिश्चित करने में बाधक बनाने वाली असल रुकावट भी उजागर हो जाएगी ।
छत्तीसगढ़ का श्रमिक विभाग जल संसाधन विभाग के निर्माण कार्य स्थलों पर श्रम अधिकार सुनिश्चित करने के लिए क्या कर रहा है ?
श्रमिकों के अधिकारों को संरक्षण प्रदान करने का कार्य छत्तीसगढ़ का श्रम विभाग करता है लेकिन क्या छत्तीसगढ़ का श्रम विभाग जल संसाधन ठेकेदारों के लिए कार्य करने वाले ठेका श्रमिकों के अधिकारों के प्रति सजग व जागरूक है ? इसको जानने के लिए एक प्रयास निजी स्तर से किया जा रहा है. इस प्रयास के तहत उन सभी आंकड़ों और दस्तावेजिक प्रमाणों तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है, जिसके आधार पर यह स्पष्ट होगा कि छत्तीसगढ़ के जल संसाधन विभाग के लिए कार्य करने वाले श्रमिकों की वास्तविक स्थिति क्या है और उन्हें श्रम विभाग से कितना सहयोग व संरक्षण प्राप्त हो रहा है ?
श्रमिक अधिकार संरक्षण के लिए कार्य करने की कार्य योजना बनाकर प्रयास किया जा रहा है और अलग-अलग क्षेत्र में कार्य करने वाले श्रमिकों जैसे जल संसाधन विभाग के श्रमिकों के समक्ष व्यावहारिक अड़चने और व्यथित करने वाली परिस्थिति और समस्या कौन सी है तथा उनके निराकरण के उपाय क्या होंगे ? इसे जानने का प्रयास सामाजिक अंकेक्षण कार्यवाही प्रक्रिया से किया जा रहा है ।
अमोल मालूसरे
समाज सेवक एवं सामाजिक अंकेक्षक