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Saturday, January 25, 2025

CG Election: 19 दिसंबर को निकाय चुनावों के आरक्षण की तस्वीर होगी साफ

रायपुर। छत्तीसगढ़ में नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायतों के वार्डों की आरक्षण प्रक्रिया 19 दिसंबर को पूरी होगी। रायपुर जिले के सभी निकायों के वार्डों में कितने वार्ड ओबीसी, एससी, एसटी और सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित होंगे, यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद स्पष्ट हो जाएगा।

नगर निगम के 70 वार्डों की आरक्षण लॉटरी सुबह 11 बजे

कलेक्टर गौरव सिंह ने बताया कि आरक्षण की प्रक्रिया रायपुर के शहीद स्मारक भवन में सुबह 11 बजे से शुरू होगी। सबसे पहले रायपुर नगर निगम के 70 वार्डों की लॉटरी निकाली जाएगी। इसके बाद रायपुर जिले की नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों के वार्डों का आरक्षण तय किया जाएगा।

समय सारणी:

  • सुबह 11 बजे: रायपुर नगर निगम के वार्डों का आरक्षण।
  • दोपहर 12:45 बजे तक: नगर पालिकाओं (तिल्दा, गोबरा नवापारा, आरंग, अभनपुर, मंदिर हसौद) के वार्डों का आरक्षण।
  • दोपहर 3 बजे से: नगर पंचायत परिषद (माना कैम्प, खरोरा, समोदा, चंदखुरी, कुर्रा) की लॉटरी।

आम जनता की उपस्थिति रहेगी संभव

आरक्षण प्रक्रिया के दौरान आम नागरिकों को उपस्थित रहने की अनुमति दी गई है। राज्य शासन ने निकाय चुनावों की आरक्षण प्रक्रिया पूरी करने के लिए कलेक्टर को अधिकृत किया है। आरक्षण प्रक्रिया पूरी होने के बाद राजनीतिक दल अपने प्रत्याशियों का चयन इसी आधार पर करेंगे।

ओबीसी वार्डों की संख्या में वृद्धि संभव

50 प्रतिशत आरक्षण के प्रावधान के चलते इस बार नगर निगम के वार्डों में पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षित सीटों की संख्या बढ़ने की संभावना है। 2019 के चुनाव में रायपुर नगर निगम के 70 वार्डों में 19 पार्षद ओबीसी वर्ग से चुने गए थे। इस बार यह संख्या बढ़कर 22 से 24 तक हो सकती है। इससे सामान्य वर्ग वाले वार्डों की संख्या घटने की संभावना है।

राजनीतिक दलों की तैयारी

वार्ड आरक्षण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही राजनीतिक दल अपने प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतारेंगे। आरक्षण की बदली तस्वीर से प्रत्याशियों के चयन पर सीधा असर पड़ेगा।

निष्कर्ष

19 दिसंबर को आरक्षण प्रक्रिया के बाद रायपुर नगर निगम सहित अन्य निकायों में चुनावी माहौल और तेज हो जाएगा। ओबीसी वर्ग की सीटों में वृद्धि से निकाय चुनावों में पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों की सक्रियता बढ़ने की संभावना है। अब देखना होगा कि इस आरक्षण प्रक्रिया के बाद राजनीतिक दलों की रणनीति क्या आकार लेती है।

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