भिलाई इस्पात संयंत्र (BSP) छत्तीसगढ़ में हरित ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए राज्य का पहला एलिवेटेड सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित कर रहा है। यह परियोजना ऊर्जा उत्पादन के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। संयंत्र की स्थापना का उद्देश्य खाली जमीन का उपयोग जानवरों के लिए चारा उत्पादन में करना और हरित ऊर्जा को बढ़ावा देना है।
परियोजना के प्रमुख बिंदु
- ऊंचाई और डिजाइन:
- संयंत्र की ऊंचाई जमीन से 5.5 मीटर तक है।
- इसे मजबूत और स्थिर बनाए रखने के लिए खास तरीके से डिजाइन किया गया है।
- इसका वजन करीब 30 टन है, जो इसे छत्तीसगढ़ का सबसे भारी सौर संरचना बनाता है।
- उत्पादन क्षमता:
- यह संयंत्र प्रति माह 24,000 यूनिट बिजली और सालाना 2,88,000 यूनिट बिजली का उत्पादन करेगा।
- इससे प्रति माह 2 लाख रुपये की बचत होगी।
- यह संयंत्र प्रतिदिन 250 किलोग्राम कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को रोकेगा।
- समाप्ति समय:
- परियोजना को जनवरी 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
- उपयोग और लाभ:
- उत्पादित बिजली का उपयोग मैत्रीबाग और निकटवर्ती जवाहर उद्यान में किया जाएगा।
- इस संयंत्र के नीचे की भूमि का उपयोग चारा उत्पादन में होगा।
पर्यावरण पर प्रभाव
- हरित ऊर्जा के उत्पादन से वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन नहीं होता, जिससे पर्यावरण को लाभ होता है।
- यह परियोजना नवीकरणीय और टिकाऊ ऊर्जा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है।
परियोजना की शुरुआत
- इस सौर ऊर्जा संयंत्र का भूमिपूजन 30 जुलाई 2024 को हुआ था।
- भिलाई इस्पात संयंत्र के कार्यपालक निदेशक पवन कुमार ने इसे हरित ऊर्जा उत्पादन के लिए एक बड़ा कदम बताया।
भिलाई का यह एलिवेटेड सौर ऊर्जा संयंत्र न केवल ऊर्जा की बचत करेगा, बल्कि पर्यावरण को भी संरक्षित करेगा। इस तरह की परियोजनाएं छत्तीसगढ़ को हरित ऊर्जा के क्षेत्र में नई पहचान दिलाने में सहायक होंगी।