-अधीक्षण अभियंता की मनमानी को रोकने में क्या पर्यावरण संरक्षण मंडल अक्षम है ?
-क्या मनीष कश्यप के पदेन कर्तव्य निर्वहन की समीक्षा नहीं करेगा छ.ग. पर्यावरण मंडल ?
-एक गैर जिम्मेदार अधिकारी की अनियमितताओं का संरक्षण क्या लोक स्वास्थ्य से अधिक महत्वपूर्ण है ?
पूरब टाइम्स , रायपुर .. छत्तीसगढ़ के पर्यावरण संरक्षण मंडल का कार्यव्यव्हार इन दिनों आम जन में चर्चा का विषय बन गया है. नगरीय ठोस विनिष्टीकरण की गम्भीरता से निगरानी करने की जगह उसे कागज़ों में आंकड़ों का खेल बना दिया गया . केवल इतना ही नहीं विभाग के मुख्यालय में कार्यरत अधीक्षण अभियंता , चोरी के ऊपर सीनाज़ोरी की तर्ज़ पर , यह ज़िम्मेदारी अन्य अधिकारी व अन्य विभाग पर डालते हुए नज़र आते हैं . विदित हो ये वही अधिकारी हैं जोकि पूर्व में रायपुर पर्यावरण मंडल के क्षेत्रीय अधिकारी होते थे जिनका कार्यालय कबीर नगर में ही होता था जहां रोज़ नंगी आंखों से वायु प्रदूषण दिखाई देता था . सूत्रों की माने तो पिछली कांग्रेसी राज्य सरकार के मंत्री का करीबी होने का दंभ भरने वाली इस अधिकारी ने अनेक इंडस्ट्री को केवल नोटिस देकर छोड़ दिया था . यह किसके संरक्षण में किया गया था तथा क्या इसमें भ्रष्टाचार लिप्त था , यह जांच का अलग विषय होगा ? जानकारी के अनुसार सूचना के अधिकार में पारदर्शिता नहीं रखने वाले उक्त अधीक्षण अभियंता मनीष कश्यप वर्तमान में प्रदेश मुख्यालय में भी अपारदर्शिता का खेल शुरू कर चुके हैं , अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रदेश की भाजपा सरकार व वर्तमान सदस्य सचिव , इनकी कार्यशैली से बच पाते हैं या नहीं ?
पूरब टाइम्स की एक रिपोर्ट ..
छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल के अधीक्षण अभियंता की पदेन जिम्मेदारी की समीक्षा कब और कौन करेगा ?
वैसे तो छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल कई मामलों में प्रश्नांकित करने वाली स्थितियों में है क्योंकि मंडल की कार्यवाहियों को पारदर्शिता के दायरे में लाने वाला प्राधिकारी महज खानापूर्ति करता नजर आ रहा है . परिणाम स्वरूप अधीक्षण अभियंता की पदेन जिम्मेदारी को स्पष्ट करने वाली प्रशासकीय कार्यवाही पर्दों में है और कई प्रश्नांकित मामलों को फाइलों में दबाए छिपाए रखने में सफल हो रहीं है . लेकिन नियमितताओं का संरक्षण करने वाले अधिकारी इस बात को समझने में भूल कर रहे है कि पर्यावरण किसी मनुष्य द्वारा या अधिकारी द्वारा नियंत्रित करने के अधिकार क्षेत्र और सक्षमता दायरे का विषय नहीं है . पर्यावरण सभी अवांछित तत्वों को तुरंत प्रदूषण के दुष्परिणाम के तौर पर सामने लाती है और जन सामान्य को इस बात अवगत करवा देती है कि प्रदूषण करने वाल व्यक्ति कौन है ? जिसके आधार पर जनता जान लेती है कि प्रदूषणकारी का संरक्षण कौन सा अधिकारी कर रहा है ?
अधीक्षण अभियंता मनीष कश्यप का वर्तमान पदेन कर्तव्य के वस्तुस्थिति की प्रशासकीय समीक्षा विधि अपेक्षित है क्यों है ?
छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल के अधीक्षण अभियंता के पद पर पदस्थ मनीष कश्यप का पदेन कर्तव्य सुनिश्चित किए जाने का मामला पारदर्शिता के अभाव में इस प्रश्न का सामना कर रहा है कि क्या वाकई अधीक्षण अभियंता महोदय अपनी पदेन जिम्मेदारी पूरी कर रहें है ? उल्लेखनीय है कि, छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल का सूचना अधिकारी वर्तमान में विभागीय अनियमितताओं को प्रश्नांकित करने वाली आधारभूत जानकारी और दस्तावेजिक प्रमाणों को सर्व साधारण को उपलब्ध करवाने का पदेन कर्तव्य पूरा नहीं कर रहा है , जिसके कारण अधीक्षण अभियंता मनीष कश्यप का वर्तमान पदेन प्रशासकीय कार्य व्यवहार पारदर्शिता के अभाव में शंकास्पद स्थिति में है . यह अनुत्तरित प्रश्न छत्तीसगढ़ के पर्यावरण संरक्षण मंडल की प्रशासनिक कार्यवाही व्यवस्था को कटघरे में खड़ा कर रहा है कि क्या अधीक्षण अभियंता महोदय अनियमित कार्याचरण के आरोपी नहीं हैं ?
विगत वर्षों के कार्यकाल में मनीष कश्यप ने जो पदेन कर्तव्य निर्वहन किया है, क्या वह विधिक चुनौती देने वाली स्थिति में है ?
छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल के उच्च पर पर पदस्थ अधीक्षण अभियंता मनीष कश्यप वर्षों से एक मोटी रकम तनख्वाह के रूप में आहरित करने वाला लोक सेवक है. गौरतलब रहे कि मनीष कश्यप लोक स्वास्थ्य को संरक्षित और सुरक्षित करने के महत्वपूर्ण पद पर वर्षों से पदस्थ है और इस लोकसेवक का पदेन कर्तव्य है कि वह हमारे पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने की पदेन जिम्मेदारी पूरी करें . वर्तमान में छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल अपनी प्रशासकीय कार्यवाहियों को पारदर्शिता के दायरे में नहीं लाकर कई चिंताजनक शंकाएं उत्पन्न कर प्रशासकीय प्रकृति का दंडनीय अपराध तो कर ही रहा है, इसके साथ ही साथ मनीष कश्यप जैसे जिम्मेदार पदों पर पदस्थ अधिकारियों के प्रशासकीय कार्य व्यवहार की समीक्षा और सामाजिक अंकेक्षण करने से विधि विरुद्ध व्यवधान उत्पन्न कर जन सामान्य को रोक भी रहा है जो कि व्यथानीय है ।
छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल के अधीक्षण अभियंता के कार्य व्यवहार को प्रश्नांकित करने की स्थिति इसलिए उत्पन्न हो रही है क्योंकि प्रदूषण का प्रकोप बढ़ता जा रहा है जिसकी चपेट में सभी लोग आ रहें है , जिसको रोकना नागरिक कर्तव्य है . चूंकि लोकतांत्रिक व्यवस्था में लोकसेवक की जवाबदेही तय करने के लिए विधिक प्रक्रिया है इसलिए पर्यावरण संरक्षण मंडल को नोटिस प्रेषित की गई है परंतु विडंबना यह है कि मनीष कश्यप जैसे जिम्मेदार प्राधिकारी पारदर्शिता के आभाव का लाभ लेकर प्रतिक्रिया नहीं दे रहें है , जिसका संज्ञान विधिवत कराया जायेगा और परिस्थिति वश विधिक चुनौती देने की स्थिति बनी तो न्यायालय की शरण में भी जाऊंगा ।
अमोल मालुसरे समाज सेवक एवं सामाजिक अंकेक्षक