बिलासपुर। बिलासपुर में सरकारी चावल हड़पने के लिए खाद्य विभाग में APL (अबोव पावर्टी लाइन) को BPL(बिलो पावर्टी लाइन) राशन कार्ड बना दिया गया। बड़े पैमाने पर हुए फर्जीवाड़े में खाद्य नियंत्रक की भूमिका पर सवाल उठाए गए। लेकिन कोई एक्शन नहीं हुआ। बेलतरा से बीजेपी विधायक सुशांत शुक्ला ने मामला विधानसभा में उठाया, अधिकारियों के गोलमोल जानकारी देने और खाद्य मंत्री दयालदास बघेल के जवाब पर आपत्ति जताई। साथ ही कहा कि संबंधित विभाग के दोषी और जिम्मेदार अधिकारी के बजाए दूसरे अधिकारी से जांच कराई जाए।
जिस पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने दूसरे अधिकारी से जांच कराने के निर्देश दिए। दरअसल, नगर निगम क्षेत्र के कई दुकानों में उचित मूल्य की दुकानों में चावल में गड़बड़ी हुई, तब इस फर्जीवाड़ा का खुलासा हुआ। इस दौरान जिस दुकान में चावल में हेराफेरी की गई है, उसी दुकान में फूड विभाग के अफसरों ने दूसरी दुकानों को भी संलग्न कर दिया, ताकि फर्जी राशन कार्ड से चावल उठाव किया जा सके।
शुरूआती जांच में पता चला कि फर्जीवाड़ा कर बड़ी संख्या में कार्ड बनाए गए हैं। इसमें खास बात यह है कि जिनका कार्ड बनाया गया है, उन उपभोक्ताओं को इसकी जानकारी तक नहीं है। इस गड़बड़ी में विभाग के खाद्य नियंत्रक सहित अन्य अधिकारियों की मिलीभगत होने की आशंका है।
छत्तीसगढ़ में खाद्य विभाग से संबंधित घोटालों के मामलों में विधायकों द्वारा नाराजगी व्यक्त की गई है। बिलासपुर जिले में उचित मूल्य दुकानों में चावल आवंटन में गड़बड़ी का मामला सामने आया, जहां बड़ी संख्या में एपीएल राशन कार्ड को बीपीएल में बदल दिया गया था। इस फर्जीवाड़े में शामिल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई न होने पर बेलतरा से भाजपा विधायक सुशांत शुक्ला ने विधानसभा में आपत्ति जताई और दोषी अधिकारियों के बजाय किसी अन्य अधिकारी से जांच कराने की मांग की।
इसके अलावा, जांजगीर जिले के बलौदा ब्लॉक के नवागांव में सेवा सहकारी समिति के विक्रेताओं द्वारा गरीबों के 190 क्विंटल चावल की चोरी का मामला उजागर हुआ। विक्रेताओं ने ग्रामीणों से अंगूठा लगवाकर चावल वितरित नहीं किया और अगले महीने आने वाले चावल को वितरित करने की योजना बनाई थी। इस घोटाले के बावजूद, खाद्य विभाग के अधिकारियों द्वारा उचित कार्रवाई न होने पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने नाराजगी व्यक्त की है।
इन घोटालों के प्रकाश में आने के बाद भी संबंधित अधिकारियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई न होने से विधायकों और जनप्रतिनिधियों में असंतोष बढ़ रहा है। वे इन मामलों में निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।