केरल के मशहूर सुन्नी मुस्लिम धर्मगुरु कांथापुरम एपी अबूबकर मुसलियार ने कोझिकोड में मुस्लिम स्टूडेंट फ़ेडेरेशन के एक कैंप को संबोधित करते हुए कहा कि महिलाएं कभी पुरुषों के बराबर नहीं हो सकतीं, क्योंकि वे केवल बच्चों को पैदा करने के लिए बनी हैं। उन्होंने कहा कि लैंगिक समानता की अवधारणा गैर इस्लामिक है। अगर ऐसा बयान किसी हिन्दू धर्म गुरु ने दिया होता तो कल्पना कीजिए, हिन्दुस्तान के न्यूज चैनल और तथाकथित धर्मनिरपेक्ष क्या कर रहे होते ? टीवी पर कितने डिबेट चल रहे होते ? आप इस विषय पर लिखते क्यों नही ? या आप भी ऐसे ही जिधर बम उधर हम की तर्ज़ पर अपने विचार रखते हैं ? एक परिचित बुद्धिजीवी के इस ताने से आहत होकर मैंने तल्खी से कहा , जिधर बम उधर हम नहीं रहते क्योंकि बम तो कभी भी फट सकता है और फुस्सी भी निकल सकता है . फिर मैं उन्हें जल्दी रवाना करने के हिसाब से बोला, जो गलत बात है वह गलत ही रहेगी . मैं अबूबकर की बातों से असहमत हूं और निंदा करता हूं . क्या अब आप को खुशी मिली ? वे वाद- विवाद करने की इच्छा दिखाते हुए बोले , नहीं केवल आपकी व्यक्तिगत निंदा से काम नहीं चलेगा , आपको अपने अखबार में भी लिखना चाहिये , इस पर परिचर्चा करनी चाहिये . परेशान होकर मैंने पत्रकार माधो की तरफ मदद के लिये देखा . मेरा आशय समझ कर वे बीच मे ही बोल उठे , महिलाओं का कम आकलन करने वालों को यह समझ लेना चाहिये कि महिलाओं की क्षमता कितनी अद्भुत होती है ? अपनी कोख से बच्चे को जन्म देने के अलावा वे पूरी ज़िंदगी अपने पति को सुधारने का काम करती हैं, ऐसा क्यों किया या ऐसा क्यों नहीं किया ! शादी के कुछ साल बाद अपने पति पर नियंत्रण रखना , अपने आप सीख जाती हैं , बाहर शेर बना पति घर मे आकर भीगी बिल्ली बन जाता है. यदि आप मेरी बात से असहमत हैं तो हम वाद विवाद के लिये तैयार हैं , जज भाभीजी को बनायेंगे . झेंपकर उन सज्जन ने हें-हें करते हुए हमसे हाथ जोड़कर विदा ली .
इंजी.मधुर चितलांग्या , सम्पादक ,
दैनिक पूरब टाइम्स