fbpx

Total Users- 605,746

Total Users- 605,746

Wednesday, January 15, 2025

यदि पुलिस थाने में एफआईआर लिखने से मना कर दिया तो क्या करें ? जानिये सब कुछ एफआईआर और अपने अधिकार के बारे में


भारतीय दंड संहिता ( अब न्याय संहिता ) की अनेक धाराएँ हैं जो अपराध के लिए दंड का प्रावधान करती हैं। इसकी शिकायत पुलिस थाना में ही की जानी चाहिए। यदि पुलिस थाना आप का मुकदमा दर्ज करने से या उस में कार्यवाही करने से इंन्कार करता है तो थाने में की गयी शिकायत के साथ साथ थानेकी शिकायत एस.पी. को तुरन्त करना चाहिए और उन से त्वरित कार्यवाही करने का अनुरोध करना चाहिए। एस.पी. को की गयी इस शिकायत की रसीद भी आप को प्राप्त करनी चाहिए। आम तौर पर एसपी ऑफिस तुरन्त इस की रसीद देता है। यदि रसीद नहीं मिलती है तो आप को एसपी को शिकायत रजिस्टर्ड डाक से
प्रेषित कर देनी चाहिए और डाक की रसीद अपने पास सुरक्षित रखनी चाहिए।

पुलिस एफआईआर दर्ज करने से करे इनकार तो कहां करें शिकायत?

जब भी किसी के साथ कोई धोखाधड़ी या अपराध होता है तो वो तुरंत पुलिस स्टेशन का रुख करता है.
पुलिस स्टेशन में सबसे पहले एफआईआर लिखवाई जाती है, जिसके बाद पुलिस मामले की जांच शुरू करती है. हालांकि कई बार देखा जाता है कि पुलिस एफआईआर लिखने से ही इनकार कर देती है. ऐसे में लोगों को पता नहीं होता है कि वो आखिर क्या करें. कई लोग पुलिस के इनकार करने के बाद चुपचाप घर चले जाते हैं और यहीं पर हिम्मत हार जाते हैं, लेकिन अगर आपके साथ कभी ऐसा होता है तो आप कई दूसरे तरीके अपना सकते हैं.

यहां कर सकते हैं शिकायत

 अगर पुलिस एफआईआर दर्ज करने से इनकार करे तो आप तुरंत इसकी शिकायत कर सकते हैं. आप पुलिस विभाग के विजलेंस डिपार्टमेंट में कॉल कर इसकी शिकायत कर सकते हैं. आप पुलिस
स्टेशन से ही कॉल कर सकते हैं. इसके अलावा आप किसी बड़े अधिकारी जैसे- एएसपी, डीसीपी या फिर एसपी दफ्तर जाकर भी इसकी शिकायत कर सकते हैं. ऐसा करने से आपकी शिकायत तो दर्ज की ही जाएगी, साथ ही एफआईआर लिखने से इनकार करने वाले अधिकारी के खिलाफ भी एक्शन होगा. इतना काम करने पर भी एक-दो दिन में पुलिस कोई कार्यवाही न करे तो तुरन्त इलाके के मजिस्ट्रेट की अदालत में अपना परिवाद प्रस्तुत करना चाहिए और प्रार्थना करनी चाहिए कि पुलिस को निर्देश दिया जाए
कि वह मामले में जाँच करे, एफआईआर दर्ज करे और अन्वेषण कर नतीजा अदालत के सामने पेश करे।

कोर्ट भी जा सकते हैं आप

अगर आला अधिकारियों से शिकायत के बाद भी आपकी सुनवाई नहीं हो रही है तो आप इसकी शिकायत
लोकल कोर्ट में मजिस्ट्रेट से कर सकते हैं. यदि आप को लगता है कि पुलिस कोई कार्यवाही नहीं कर रही है तो आप अदालत में खुद का और गवाहों के बयान करवा कर तथा सबूत पेश कर के सीधे अदालत से अभियुक्तों के विरुद्ध मुकदमा चलाने को भी कह सकते हैं। इस तरह आप कोई भी अपराधिक मुकदमा अदालत में दर्ज करवा सकते हैं। आपकी शिकायत सही पाई जाती है तो कोर्ट पुलिस को एफआईआर करने का आदेश जारी कर सकता है. साथ ही आरोपी पुलिसकर्मी के खिलाफ भी कार्रवाई होगी.  थाने में एफआईआर दर्ज नहीं होने की स्थिति में आप ऑनलाइन जाकर भी शिकायत कर सकते हैं. इसे ई-एफआईआर कहा जाता है. हर एरिया की पुलिस वेबसाइट होती है, जहां जाकर आपको तमाम जानकारी
देनी होती है और आपकी एफआईआर दर्ज हो जाती है. एफआईआर दर्ज होने के बाद आपके मामले
की जांच शुरू हो जाती है.

पूरी तरह स्पष्ट होनी चाहिए शिकायत

एफआईआर को लेकर आम आदमी को डरने की जरूरत नहीं है. चाहे उससे संबंधित मामला हो या फिर उसके किसी परिचित का, उसे पुलिस थाने जाने में हिचकिचाने या डरने की जरूरत नहीं है. वहीं कई लोगों की शिकायत होती है कि उनकी एफआईआर थाने में नहीं लिखी गई, या फिर मजिस्ट्रेट के यहां एफआईआर के लिये किया गया आवेदन निरस्त हो गया. इसके तो कई कारण होते हैं. लेकिन, एक कारण ये भी होता है की उसके लिखने का तरीका गलत हो. एफआईआर को कम से कम शब्दों में स्पष्ट और पूरे मामले को लिखना चाहिए, क्योंकि न्यायालय में केस इसी आधार पर चलता है. एफआईआर सरल भाषा में लिखनी चाहिए और उसमें शिकायत पूरी तरह स्पष्ट होनी चाहिए.

एफआईआर की तहरीर देते समय इन बातों का रखें ध्यान

•               कब (तारीख और समय)– एफआईआर (FIR) में घटना के समय और तारीख की
जानकारी लिखनी चाहिए.

•               कहां (जगह)– घटना कहां पर हुई, इसकी जानकारी देनी चाहिए.

•               किसने– अपराध किस व्यक्ति ने किया (ज्ञात या अज्ञात) एक या अनेक व्यक्ति उसका नाम पता आदि लिखना चाहिए.

•               किसको– किस के साथ अपराध किया गया एक पीड़ित है या अनेक उन सब का नाम व पता.

•               किसलिए– यह एक मुख्य विषय होता है. इसलिए इस पर सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है. इसको इस तरह समझ सकते हैं कि अगर पहला व्यक्ति दूसरे पर गोली चला देता है और उसकी मौत हो जाती है, तो पहला व्यक्ति दोषी होगा. पहला व्यक्ति दूसरे पर अपनी पिस्तौल तान देता है और दूसरा व्यक्ति अपने बचाव में उस पर गोली चला देता है, तो दूसरा व्यक्ति दोषी नहीं है क्योंकि उसने आत्मरक्षा में कदम उठाया.

पहला व्यक्ति अपनी कार से दूसरे को गलती से टक्कर मार देता है और उसकी मौत हो जाती है, तो पहला व्यक्ति हत्या का दोषी नहीं है बल्कि उस पर दुर्घटना का केस चलेगा और उसके हिसाब से दंड मिलेगा. कोई पुलिस कर्मी अगर आतंकवादी या कुख्यात अपराधी को मुठभेड़ में मार देता है, तो वह हत्या का दोषी नहीं होगा. इससे स्पष्ट होता है की कोई भी कार्य तब तक अपराध नहीं है जब तक की दुराशय से न
किया गया हो.

•               किसके सामने (गवाह)– अगर घटना के समय कोई मौजूद हो तो उनकी जानकारी अवश्य देनी चाहिए.

•               किससे (हथियार) – अपराध करने के लिए किन हथियार (पिस्तौल, डंडे, रॉड, चैन, हॉकी, ईंट) का प्रयोग किया गया. अगर कोई धोखाधड़ी का मामला है तो ( स्टाम्प पेपर, लेटरहेड, इंटरनेट, मोबाइल, आदि) जानकारी जरूर प्रदान करें.

•               किस प्रकार – क्या प्रकरण अपनाया गया अपराध करने के लिये उसको लिखें.

•               क्या किया (अपराध)– इन सभी को मिलकर क्या किया गया जो की अपराध होता है उसका विवरण दें.

•               इस प्रकार एफआईआर में सभी आवश्यक बिंदु शामिल हो जाएंगे और पुलिस के लिए केस समझते हुए उचित धाराओं में मामला दर्ज करना आसान होगा.

 जरूरत पड़ने पर कहीं भी दर्ज कराई जा सकती है FIR

•               एफआईआर (FIR) जहां घटना हुई है, उसके आलावा भी भारत के किसी भी थाने में जाकर दर्ज कराई जा सकती है. आमतौर पर एफआईआर (FIR) नहीं लिखे जाने के कई कारण होते हैं. इसमें मुख्य रूप से टालमटोल करने की वजह क्राइम रेट अधिक नहीं दिखाना होता है. ये रवैया पूरी तरह से गैरकानूनी है. वहीं दूसरा कारण अपराध की सत्यता की पूरी तरह जांच पड़ताल करना है, जिसके बाद
एफआईआर (FIR) दर्ज की जा सके.

More Topics

Apple Watch SE 3: आकर्षक डिज़ाइन और किफायती कीमत के साथ युवाओं को लुभाने की तैयारी!

ब्लूमबर्ग के मार्क गुरमन की रिपोर्ट के अनुसार, Apple...

DGAFMS भर्ती 2025: सरकारी नौकरी का शानदार अवसर

पदों का विवरण: डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ आर्म्ड फोर्सेस मेडिकल...

जानिए दिल्ली का पहला चुनाव और दो-दो विधायक वाली अनोखी कहानी

दिल्ली का पहला विधानसभा चुनाव 27 मार्च 1952 को...

साबूदाना कैसे बनता है: सम्पूर्ण जानकारी और प्रक्रिया

साबूदाना (साबूदाना) एक प्रकार का बघारा हुआ स्टार्च होता...

Follow us on Whatsapp

Stay informed with the latest news! Follow our WhatsApp channel to get instant updates directly on your phone.

इसे भी पढ़े