बारिश और आसमान में छाए बादल की वजह से तापमान कम है। ठाकुर छेदीलाल बैरिस्टर कृषि महाविद्यालय के कृषि विज्ञानियों ने ब्लाकवार किसानों के खेत में जाकर फसलों की स्थिति की जांच की। तिल और सोयाबीन के पौधों में कीट प्रकोप बढ़ने लगा है। कृषि विज्ञानियों ने किसानों को दवा देने की सलाह दी है।
मानसून की बारिश ने कृषि कार्य को तेज कर दिया है। खरीफ फसल के इस सीजन में किसानों की प्राथमिक खेती धान है। धान के अलावा सोयाबीन भी इस समय खेती की जाती है। तिल भी खेत की मेढ़ पर या टिकरा जगह पर बोया जाता है। दलहन और तिलहन के लिए भी मौसम अच्छा है।
फसलों की स्थिति देखी
बारिश और आसमान में छाए बादल के कारण नमी बनी हुई है। फसलों की स्थिति देखने ठाकुर छेदीलाल बैरिस्टर कृषि महाविद्यालय के कृषि विज्ञानियों ने ब्लाकवार किसानों के खेत में जाकर फसलों की स्थिति देखी। सोयाबीन और तिल के पौधों में कीट प्रकोप बढ़ने लगा है।
दवा का छिड़काव
कृषि विज्ञानियों ने किसानों को दवा का छिड़काव करने की सलाह दी है। साथ ही दवाओं का नाम भी बताया है। कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा अरूण कुमार त्रिपाठी के मार्गदर्शन में कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों द्वारा जिले के विभिन्न विकासखंडों में लगे फसलों मुख्यतः धान, सोयाबीन व तिल का निरीक्षण किया गया।
रासायनिक दवा
सोयाबीन फसल में तंबाकू की इल्ली एवं तिल की फसल में पत्ती मोड़क तथा तना व जड़ गलन का प्रकोप देखने को मिला। कीट व रोग विशेषज्ञों द्वारा सोयाबीन व तिल फसलों में कीटों के प्रबंधन के लिए रासायनिक दवा इमामेक्टिन बेंजोएट या फ्लूबेंडामाइड का छिड़काव करने की सलाह दी। तिल के तना व जड़ गलन से रोकथाम के लिए स्पाट ड्रेचिंग हेक्साकोनाजोल का छिड़काव करने की सलाह दी।