नई दिल्ली: मोदी सरकार ने वन नेशन, वन इलेक्शन बिल को मंजूरी दे दी है। अब सरकार इस बिल को संसद में पेश करने की तैयारी कर रही है, और अगले हफ्ते इसे संसद में पेश किया जा सकता है। ANI के मुताबिक, मोदी कैबिनेट ने इस बिल को मंजूरी दी है और सरकार इस पर आम सहमति बनाने का प्रयास करेगी। इस बिल पर वृहद चर्चा के लिए मोदी सरकार इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेज सकती है।
राम नाथ कोविंद का बयान
भारत के पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने इस बिल पर अपना समर्थन व्यक्त करते हुए कहा कि केंद्र सरकार को ‘एक राष्ट्र – एक चुनाव’ पहल पर आम सहमति बनानी चाहिए। उन्होंने जोर दिया कि यह मुद्दा राजनीतिक हितों से परे है और देश की सेवा करता है।
शिवराज सिंह चौहान ने किया समर्थन
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस बिल का समर्थन करते हुए कहा कि राज्य विधानसभाओं और लोकसभा के लिए एक साथ चुनाव कराए जाने चाहिए। उनका कहना था कि बार-बार चुनाव होने से समय और सार्वजनिक धन की बर्बादी होती है। शिवराज सिंह चौहान ने कहा, “चुनावों के दौरान विकास कार्य ठप हो जाते हैं और सार्वजनिक धन का बहुत खर्च होता है।”
विपक्ष का विरोध
इस विधेयक का विपक्ष द्वारा विरोध किया जा रहा है। विपक्ष का आरोप है कि वन नेशन, वन इलेक्शन से केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी को राजनीतिक फायदा होगा और इसका उद्देश्य राज्य सरकारों के अधिकारों को सीमित करना हो सकता है।
हिमंत बिस्वा सरमा ने दिया समर्थन
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने भी वन नेशन, वन इलेक्शन की पहल का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि जैसे ओडिशा में एक साथ चुनाव होते हैं, वैसे ही देशभर में एक साथ चुनाव होनी चाहिए। पीएम मोदी का यह विचार है और हम इसका पूरी तरह से समर्थन करते हैं।
वन नेशन, वन इलेक्शन बिल के पास होने के बाद देश में एक साथ चुनाव कराए जाने की प्रक्रिया शुरू हो सकती है। यह कदम सरकार के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है, लेकिन विपक्ष इसके संभावित राजनीतिक फायदे को लेकर आशंकित है। अब देखना यह होगा कि संसद में इस बिल पर कितनी चर्चा होती है और इसे कितनी समर्थन मिलती है।