मैंने अपनी लिखी एक कहानी पत्रकार माधो को सुनाई . छै बच्चे मैदान में खेल रहे थे . एक बच्चे ने सजेस्ट किया कि कुछ नया खेलते हैं . उन्होंने कुछ पर्ची बनाई . राजा, मंत्री , अधिकारी , व्यापारी , सिपाही , चोर . सभी ने पर्ची उठाई . केवल राजा को खेल के निर्देश देने का अधिकार रखा. जिस लड़के की राजा की पर्ची निकली , उसने कहा , मंत्री मेरे पास आओ और बाकियों को दूर भेज दिया . उसने ज़ोर से कहा कि मंत्री बिना किसी से पूछे चोर को पकड़ कर लाओ . तुम्हें दो मौके मिलेंगे नहीं तो तुम आउट हो जाओगे . मंत्री ने गज़ब का काम किया . चारों को राजा के पास ले आया . राजा ने पूछा यह क्या है ? इस पर मंत्री बोला, आपने मुझसे चोर पकड़ने बोला सो मैं पकड़ लाया .
जिसके नाम चोर की पर्ची लिखी है वह सबसे छोटा चोर है . ट्रैफिक सिग्नल का सिपाही जो अपना काम छोड़ हर आने जाने वाले दो पहिया और चार पहिया को रोक वसूली में मग्न है जी.आर.पी का सिपाही, डंडा फटकारता हुआ,जेब में नोट खिसकाता हुआ मुस्कुरा कर अवैध सामान ले जाने की अनुमति दे रहा है . थाने का सिपाही केस नहीं करने का सेटलमेंट कर रहा है , चोर पकड़ने के लिये पीड़ित से पैसे मांग रहा है. व्यापारी हर जगह टैक्स की चोरी कर रहा है . अधिकारी की मत पूछिये , भ्रष्टाचार के असली सूत्रधार वे बन गये हैं .
वैसे मुझे अपने आपको , भी , कठघरे में खड़े कर देना चाहिये क्योंकि यह सब कुछ मेरी जानकारी और छत्रछाया में होता है. इस बात को सुनकर राजा बोला, तुमने मेरी आंखें खोल दी , मैं ही सबसे बड़ा चोर हूं क्योंकि मैंने अपनी ज़िम्मेदारी से मुंह चुराया है .
शासन में ईमानदारी का बोलबाला तभी हो सकता है जब हर कड़ी ईमानदार हों . मेरी बात सुनकर पत्रकार माधो मुस्कुराते हुए बोले, आज लोकतंत्र में स्थिति इससे बिल्कुल विपरीत है. जब कभी कहीं कोई बड़ा घोटाला खुलता है , जहां कहीं गड़बड़ी सार्वजनिक हो जाती है तो उसकी सज़ा सबसे कमज़ोर मोहरे को मिलती है. मज़बूत दागदार लोग तो चुनाव जीतकर राज करते हैं . जब तक आम जनता, हर क्षेत्र में ईमानदारी को खास नहीं मानेगी , तब तक, इन खास लोगों में ईमानदारी आम नहीं होगी.
इंजी. मधुर चितलांग्या , संपादक ,
दैनिक पूरब टाइम्स