अशोक तंवर ने बीजेपी के लिए प्रचार के कुछ घंटे बाद कांग्रेस में घर वापसी की। हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के लिए यह बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम माना जा रहा है।
पूर्व कांग्रेस सांसद अशोक तंवर, जो हाल ही में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ जुड़े थे और हरियाणा में बीजेपी के लिए प्रचार कर रहे थे, अब कांग्रेस में फिर से शामिल हो गए हैं। हरियाणा के महेंद्रगढ़ में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की रैली में अशोक तंवर की ‘घर वापसी’ हुई। यह राजनीतिक घटनाक्रम उस समय चर्चा का विषय बना जब तंवर ने बीजेपी के लिए ट्वीट किए थे, लेकिन कुछ ही घंटों बाद वह कांग्रेस के मंच पर नजर आए।
अशोक तंवर का राजनीतिक सफर
अशोक तंवर का राजनीतिक सफर कई उतार-चढ़ावों से भरा रहा है। वे सिरसा से पूर्व सांसद रह चुके हैं और 2014 से 2019 तक हरियाणा कांग्रेस के प्रमुख के रूप में कार्य किया। 2019 में उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी और कई राजनीतिक दलों से जुड़े। उन्होंने 2021 में तृणमूल कांग्रेस (TMC) जॉइन की और अगले ही साल आम आदमी पार्टी (AAP) में शामिल हो गए। हालांकि, तंवर ने AAP के साथ गठबंधन करने पर अरविंद केजरीवाल के फैसले का विरोध किया और 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी छोड़ दी।
बीजेपी में शामिल होने और चुनाव हारने की कहानी
जनवरी 2024 में अशोक तंवर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल हो गए और ‘कमल’ के चिन्ह पर लोकसभा चुनाव लड़ा। हालांकि, चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा और कांग्रेस की कुमारी शैलजा ने उन्हें मात दी। तंवर की राजनीतिक यात्रा में यह एक बड़ा मोड़ था, लेकिन इससे उनकी राजनीति में वापसी की संभावना खत्म नहीं हुई।
राहुल गांधी की रैली में कांग्रेस में वापसी
अशोक तंवर की कांग्रेस में वापसी हरियाणा के महेंद्रगढ़ में राहुल गांधी की एक रैली के दौरान हुई। रैली में उनके शामिल होने पर मंच से उनकी ‘घर वापसी’ की घोषणा की गई। कांग्रेस पार्टी ने इस घटनाक्रम को लेकर अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, “कांग्रेस हमेशा समाज के दबे-कुचले और वंचित वर्गों की आवाज उठाती रही है। हमारी संघर्षशीलता और समर्पण से प्रभावित होकर वरिष्ठ बीजेपी नेता, पूर्व सांसद और बीजेपी के स्टार प्रचारक अशोक तंवर ने कांग्रेस में वापसी की है।”
चुनाव से ठीक पहले की रणनीति
तंवर की कांग्रेस में वापसी एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम है, खासकर हरियाणा विधानसभा चुनाव के ठीक पहले। हरियाणा में 90 विधानसभा सीटों के लिए मतदान शनिवार को होगा, और वोटों की गिनती मंगलवार को होगी। तंवर की वापसी से कांग्रेस को उम्मीद है कि राज्य में पार्टी को नई ताकत मिलेगी, खासकर तब जब बीजेपी लगातार तीसरी बार सत्ता में आने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस इस बार राज्य में वापसी के लिए पूरी ताकत झोंक रही है और तंवर की वापसी को पार्टी की रणनीतिक बढ़त के रूप में देखा जा रहा है।
राजनीतिक ध्रुवीकरण और तंवर की भूमिका
अशोक तंवर की राजनीति में वापसी को एक महत्वपूर्ण ध्रुवीकरण के रूप में देखा जा रहा है। एक समय में वे कांग्रेस के युवा नेताओं में से एक थे और पार्टी की छात्र इकाई नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) के अध्यक्ष और भारतीय युवा कांग्रेस के प्रमुख के रूप में कार्य किया। उनके पास जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) से एमफिल और पीएचडी की डिग्रियां हैं, जो उनके शैक्षणिक और राजनीतिक कद को और मजबूत करती हैं।
तंवर के बीजेपी में शामिल होने से लेकर कांग्रेस में लौटने तक की कहानी उनके राजनीतिक करियर के उतार-चढ़ाव को दर्शाती है। जब उन्होंने बीजेपी जॉइन की थी, तब इसे कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका माना गया था। लेकिन अब जब उन्होंने वापस कांग्रेस का हाथ थामा है, तो यह पार्टी के लिए एक राहत की बात है।
सुबह बीजेपी के समर्थन में ट्वीट, शाम को कांग्रेस की रैली में
दिलचस्प बात यह है कि तंवर ने कांग्रेस में लौटने से कुछ ही घंटे पहले बीजेपी उम्मीदवारों के समर्थन में ट्वीट किए थे। यह बात तब सामने आई जब वे कांग्रेस की रैली में शामिल हुए और मंच से उनके घर लौटने की घोषणा की गई। उन्होंने ट्विटर पर किए गए अपने सभी बीजेपी समर्थित ट्वीट्स को हटा दिया है, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि उनकी कांग्रेस में वापसी की योजना पहले से ही बनाई गई थी।
कांग्रेस के लिए नई उम्मीद
अशोक तंवर की कांग्रेस में वापसी पार्टी के लिए एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है, खासकर हरियाणा विधानसभा चुनाव से ठीक पहले। तंवर का कद हरियाणा में काफी बड़ा है और उनके पास जमीनी स्तर पर मजबूत पकड़ है। कांग्रेस को उम्मीद है कि तंवर की वापसी से पार्टी को चुनावी लाभ मिलेगा और वह बीजेपी के खिलाफ मजबूती से खड़ी हो सकेगी।
अशोक तंवर की घर वापसी कांग्रेस के लिए एक महत्वपूर्ण राजनीतिक कदम है, खासकर हरियाणा के आगामी विधानसभा चुनावों से ठीक पहले। उनकी राजनीतिक यात्रा में कई मोड़ आए, लेकिन अंततः उन्होंने फिर से कांग्रेस का हाथ थामा है। यह राजनीतिक घटनाक्रम हरियाणा की राजनीति पर बड़ा प्रभाव डाल सकता है, क्योंकि तंवर की वापसी से कांग्रेस को चुनावी फायदा हो सकता है। अब देखना यह होगा कि कांग्रेस इस मौके का कितना फायदा उठा पाती है और हरियाणा की राजनीति में किस तरह से अपनी स्थिति मजबूत करती है।