आजकल स्मार्टफोन हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है। हम रोज़ाना घंटों तक स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं, और इसमें बच्चे भी पीछे नहीं हैं। हालांकि स्मार्टफोन ने सूचना, मनोरंजन और कनेक्टिविटी के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित किए हैं, लेकिन बच्चों पर इसके प्रभाव को लेकर चिंताएँ भी बढ़ती जा रही हैं, खासतौर पर मस्तिष्क के विकास के संबंध में।
मशहूर सोशल साइकोलॉजिस्ट डॉ. जोनाथन हैट ने न्यूरोसाइंटिस्ट और पॉडकास्ट होस्ट डॉ. एंड्रयू ह्यूबरमैन के साथ बातचीत में इस पर गहन चर्चा की कि आखिर स्मार्टफोन बच्चों के लिए क्यों खतरनाक हो सकता है और क्यों इसे बच्चों से दूर रखना चाहिए या कम से कम इसके इस्तेमाल पर कड़ी निगरानी रखनी चाहिए।
1. मायोपिया (नज़दीकी दृष्टि दोष) का बढ़ता ख़तरा
डॉ. हैट का कहना है कि जब बच्चे लंबे समय तक स्मार्टफोन के स्क्रीन पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो उनकी आंखों की संरचना में बदलाव हो सकता है, जिससे मायोपिया (नज़दीकी दृष्टि दोष) हो सकता है। शोध के अनुसार, जब बच्चे लगातार नज़दीक से देखने वाली गतिविधियों में संलग्न होते हैं, जैसे मोबाइल फोन का इस्तेमाल, तो आंख की गोलाई लंबी हो जाती है और इससे दृष्टि की छवि रेटिना पर सही ढंग से नहीं गिरती। यह एक स्थायी समस्या बन सकती है, और आजकल के युवा इसके शिकार होते जा रहे हैं।
बच्चे जो अधिकतर समय घर के अंदर बिताते हैं और प्राकृतिक प्रकाश से दूर रहते हैं, उन्हें यह खतरा और भी ज़्यादा होता है। हैट ने यह भी कहा कि प्राकृतिक प्रकाश का संपर्क बच्चों के नेत्र विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है और यह मायोपिया की प्रगति को रोकने में मदद कर सकता है।
2. मस्तिष्क के विकास पर असर
डॉ. ह्यूबरमैन ने अपने पॉडकास्ट में बताया कि मस्तिष्क का विकास बचपन से लेकर किशोरावस्था तक काफी महत्वपूर्ण रूप से होता है। इस दौरान कुछ विशेष समयावधियों में मस्तिष्क सामाजिक, भावनात्मक और संज्ञानात्मक (कॉग्निटिव) कौशलों का विकास करता है। अगर बच्चों को इन संवेदनशील समयावधियों में स्मार्टफोन का उपयोग करने दिया जाए, तो यह मस्तिष्क की स्वाभाविक विकास प्रक्रियाओं में रुकावट डाल सकता है।
बच्चों के मस्तिष्क की “प्लास्टिसिटी” यानी नई कनेक्शन्स बनाने और अनुभवों से सीखने की क्षमता बहुत अधिक होती है। लेकिन जब यह अनुभव स्मार्टफोन के जरिए मिलने वाली त्वरित संतुष्टि, जैसे सोशल मीडिया, गेम्स, या अन्य एप्स से प्रभावित होते हैं, तो यह उनके सामान्य विकास में बाधा डाल सकता है।
3. ध्यान, आत्म-नियंत्रण और भावनात्मक संतुलन में समस्याएं
स्मार्टफोन के अधिक उपयोग से बच्चों के ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में कमी आ सकती है। त्वरित संतुष्टि से भरे ऐप्स और गेम्स बच्चों में धैर्य और आत्म-नियंत्रण को कमज़ोर कर सकते हैं। डॉ. हैट ने बताया कि यह ध्यान भटकाने वाली चीज़ें बच्चों में आवेग नियंत्रण (इम्पल्स कंट्रोल) और भावनात्मक संतुलन बनाए रखने की क्षमता को प्रभावित करती हैं।
4. संज्ञानात्मक विकास में देरी
एक शोध रिपोर्ट, जो 2019 में ‘जामा पीडियाट्रिक्स’ में प्रकाशित हुई थी, में यह बात सामने आई कि अत्यधिक स्क्रीन टाइम बच्चों के संज्ञानात्मक विकास में देरी का कारण बन सकता है। 2 और 3 वर्ष की उम्र में अधिक स्क्रीन टाइम का संबंध 3 और 5 वर्ष की उम्र में विकासात्मक स्क्रीन टेस्ट में कमजोर प्रदर्शन से देखा गया है।
सरल शब्दों में कहा जाए तो, यह दिखाता है कि प्रारंभिक आयु में स्क्रीन के अधिक संपर्क में आने से बच्चों की भाषा विकास, संचार कौशल और समस्या हल करने की क्षमता पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
5. आंखों की थकान और तनाव
स्मार्टफोन का लंबे समय तक उपयोग बच्चों की आंखों पर भी बुरा प्रभाव डाल सकता है। स्क्रीन की नीली रोशनी से आंखों में थकान और तनाव हो सकता है, जिससे दृष्टि कमजोर हो सकती है। लगातार स्मार्टफोन के उपयोग से बच्चों को आंखों में जलन, धुंधलापन, और सिरदर्द जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
6. सोशल मीडिया का नकारात्मक प्रभाव
स्मार्टफोन पर सोशल मीडिया की बढ़ती उपलब्धता बच्चों में मानसिक तनाव, अवसाद और चिंता का कारण बन सकती है। खासकर किशोरावस्था में सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग बच्चों के आत्म-सम्मान को प्रभावित कर सकता है। सोशल मीडिया पर लगातार मौजूदगी और अन्य लोगों से तुलना करने की प्रवृत्ति बच्चों में असुरक्षा की भावना और मानसिक अस्थिरता पैदा कर सकती है।
7. शारीरिक सक्रियता में कमी
स्मार्टफोन के अत्यधिक उपयोग से बच्चे शारीरिक गतिविधियों में कम शामिल होते हैं। दिन भर बैठकर मोबाइल का उपयोग करने से बच्चों का शारीरिक विकास भी प्रभावित हो सकता है। बच्चों को खेलने, दौड़ने और अन्य शारीरिक गतिविधियों की आवश्यकता होती है, जिससे उनका शारीरिक विकास ठीक से हो सके। लेकिन जब बच्चे स्मार्टफोन की ओर ज्यादा ध्यान देते हैं, तो उनकी शारीरिक सक्रियता घट जाती है, जिससे मोटापा, मांसपेशियों की कमजोरी और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
निष्कर्ष
स्मार्टफोन बच्चों की जिंदगी में अत्यधिक प्रवेश कर चुका है, और इसके उपयोग पर ध्यान देना अत्यंत आवश्यक है। स्मार्टफोन के इस्तेमाल पर सीमाएं निर्धारित करके और बच्चों को आउटडोर गतिविधियों में शामिल करके ही हम उनके शारीरिक, मानसिक और संज्ञानात्मक विकास को सही दिशा में रख सकते हैं।