निर्माण और चंदेल वंश का योगदान
खजुराहो के मंदिरों का निर्माण चंदेल वंश के राजाओं ने 950 से 1050 ईस्वी के बीच करवाया था। चंदेल शासक यशोवर्मन और उनके उत्तराधिकारी धंगदेव ने इन भव्य मंदिरों की नींव रखी। यह मंदिर भारत की प्राचीन नागर शैली की वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
मंदिरों की संख्या और संरक्षण
ऐतिहासिक रूप से खजुराहो में 85 मंदिर थे, लेकिन समय और प्राकृतिक आपदाओं के कारण अधिकांश मंदिर नष्ट हो गए। वर्तमान में केवल 25 मंदिर ही बचे हैं, जो आज भी अपनी भव्यता और सुंदरता के लिए प्रसिद्ध हैं।
खजुराहो नाम की उत्पत्ति
ऐसा माना जाता है कि खजुराहो नाम संस्कृत शब्द ‘खर्जूर’ (खजूर का पेड़) से लिया गया है, क्योंकि इस क्षेत्र में खजूर के पेड़ बहुतायत में पाए जाते थे।
खजुराहो मंदिरों का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
- हिंदू और जैन धर्म से संबंध
- खजुराहो के मंदिर मुख्य रूप से हिंदू देवी-देवताओं और जैन तीर्थंकरों को समर्पित हैं।
- चंदेल शासक शैव, वैष्णव और जैन धर्मों के अनुयायी थे, इसलिए उन्होंने इन तीनों परंपराओं के मंदिरों का निर्माण करवाया।
- कामुक मूर्तियां (एरोटिक आर्ट)
- खजुराहो मंदिर अपनी अद्भुत नक्काशी और कामुक मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध हैं।
- इन मूर्तियों में प्रेम, संगीत, नृत्य, ध्यान और सामाजिक जीवन के विभिन्न रूपों को दर्शाया गया है।
- ऐसा माना जाता है कि ये मूर्तियां कामसूत्र से प्रेरित हैं और तत्कालीन समाज की जीवनशैली को दर्शाती हैं।
- मुगल काल में मंदिरों का पतन
- 13वीं शताब्दी के बाद खजुराहो पर मुस्लिम आक्रमणकारियों का शासन स्थापित हो गया।
- इस दौरान कई मंदिर नष्ट हो गए, और धीरे-धीरे खजुराहो जंगलों में खो गया।
- 19वीं शताब्दी में ब्रिटिश अधिकारी टी.एस. बर्ट ने इन मंदिरों को दोबारा खोजा और उनकी ऐतिहासिक महत्ता को स्थापित किया।
खजुराहो मंदिरों की वास्तुकला
- खजुराहो के मंदिर नागर शैली में बने हैं, जिसमें ऊँचे शिखर (टॉवर) होते हैं।
- इनमें गर्भगृह, मंडप और महा मंडप जैसे भाग होते हैं।
- दीवारों पर देवी-देवताओं, अप्सराओं, योद्धाओं और राजाओं की नक्काशी है।
- मंदिरों की मूर्तियां इतनी जीवंत और सुंदर हैं कि वे पत्थर में जान डालने जैसी लगती हैं।
खजुराहो मंदिरों का विभाजन
खजुराहो के मंदिरों को तीन समूहों में बांटा गया है:
1. पश्चिमी समूह (Western Group) – सबसे प्रसिद्ध मंदिर
- कंदरिया महादेव मंदिर – सबसे बड़ा और भव्य शिव मंदिर।
- लक्ष्मण मंदिर – भगवान विष्णु को समर्पित।
- कृष्ण मंदिर – भगवान कृष्ण को समर्पित।
- चित्रगुप्त मंदिर – सूर्य देवता का मंदिर।
2. पूर्वी समूह (Eastern Group) – जैन और हिंदू मंदिर
- पार्श्वनाथ मंदिर – सबसे बड़ा जैन मंदिर।
- आदिनाथ मंदिर – जैन तीर्थंकर आदिनाथ को समर्पित।
3. दक्षिणी समूह (Southern Group) – कम चर्चित लेकिन महत्वपूर्ण मंदिर
- दुल्हादेव मंदिर – भगवान शिव को समर्पित।
- बीजमंडल मंदिर – अधूरा बना हुआ मंदिर।
खजुराहो की यात्रा की जानकारी
कैसे पहुंचे?
- हवाई मार्ग: खजुराहो हवाई अड्डा (दिल्ली, वाराणसी, आगरा से सीधी उड़ान)।
- रेल मार्ग: खजुराहो रेलवे स्टेशन (प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ)।
- सड़क मार्ग: खजुराहो अच्छी बस और टैक्सी सेवाओं से जुड़ा है।
घूमने का सबसे अच्छा समय
- अक्टूबर से मार्च: मौसम ठंडा और अनुकूल होता है।
- फरवरी में खजुराहो नृत्य महोत्सव: भारत के प्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्य यहां प्रस्तुत किए जाते हैं।
निष्कर्ष
खजुराहो के मंदिर भारतीय संस्कृति, कला और वास्तुकला का बेहतरीन उदाहरण हैं। यदि आप इतिहास, धर्म और प्राचीन कला में रुचि रखते हैं, तो खजुराहो की यात्रा आपके लिए अविस्मरणीय अनुभव होगी।