पेरिस पैरालंपिक 2024 में कांस्य पदक जीतने वाली नित्या श्री सिवन ने बैडमिंटन में अपनी मेहनत और जुनून से न केवल देश का नाम रोशन किया, बल्कि अपनी जिंदगी के कठिन दौर को भी पीछे छोड़ दिया। तमिलनाडु के होसुर में जन्मी नित्या का सफर आसान नहीं रहा। उनकी मां के निधन के बाद उनके पिता और दादी ने उन्हें संभाला। शारीरिक चुनौतियों और स्कूल में हुए अपमानजनक व्यवहार का सामना करते हुए, उन्होंने अपने खेल कौशल और आत्मविश्वास को बुलंद किया।
अर्जुन अवॉर्ड का महत्व
नित्या ने अर्जुन अवॉर्ड को अपने जीवन का एक खास सम्मान बताया। उन्होंने कहा, “यह उन सभी को जवाब है जो मेरे बारे में गलत सोचते थे। यह पुरस्कार मेरे संघर्षों और मेहनत का प्रतीक है।”
एशियाई पैरा खेलों में सफलता
नित्या ने 2022 के एशियाई पैरा खेलों में तीन कांस्य पदक जीतकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। उनके पिता और भाई ने हमेशा उनका समर्थन किया, जिससे उन्होंने आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास हासिल किया।
पीवी सिंधु से प्रेरणा और बैडमिंटन का सफर
नित्या ने 2016 में रियो ओलंपिक के दौरान पीवी सिंधु को देखकर प्रेरणा ली। अपने भाई के साथ बैडमिंटन खेलते हुए, उन्होंने इस खेल को अपनाया। अभ्यास के प्रति उनकी लगन ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सफलता दिलाई।
नित्या श्री सिवन की कहानी इस बात का सबूत है कि दृढ़ निश्चय और मेहनत से किसी भी बाधा को पार किया जा सकता है। उनका सफर हर किसी के लिए प्रेरणा का स्रोत है।