हरियाणा और जम्मू कश्मीर के विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित हो गए . अब टीवी चैनल वाली उन परिणामों के विश्लेषण के लिए अनेक दिन तक परिचर्चाएं करेंगे, पैनल बुला बुलाकर उनकी बयानबाज़ी, तीखी नोक झोंक कराएंगे ताकि उनकी टीआरपी बढे . जिस तरह एक साथ सभी मनोरंजन चैनल में विज्ञापन आते हैं और आप चाहकर भी चैनल बदल -बदल कर भी कार्यक्रम नहीं देख सकते हैं, उसी तरह न्यूज़ प्रेमी चाहे कितने ही न्यूज़ चैनल बदल लें उन्हें , बस , ऐसी ही बेतुकी बहस वाली परिचर्चा देखने मिलेगी. कई चसकेबाज़ , बयानवीर तो एक दिन में कई चैनलों पर अपनी विशेषज्ञता का प्रदर्शन करते दिखते हैं .
मैंने पत्रकार माधो से कहा कि मुझे लगता है कि इन टीवी वालों से चर्चा करके ही किसी भी पार्टी को गठबंधन करना चाहिए , प्रचार -प्रसार , यहां तक कि विवादास्पद बयान भी उन्हीं की सलाह पर करना चाहिए. आप भी इस चुनाव परिमाण के बारे में अपने कोई एक्सपर्ट कमेंट देंगे क्या ? वे हँसते हुए बोले , अच्छा हुआ तुमने पूछ लिया . वरना जीभ की खुजली मिटाना बहुत मुश्किल हो जाता था . इन चुनाव के परिणाम जो आये उनपर तो सभी बातचीत कर रही हैं परन्तु मैं आपको यह बताना चाहूँगा कि इससे हमें क्या शिक्षा मिलती है ?
1. आम जनता को समझ लेना चाहिये कि चुनाव के समय नेतागण जो भी घोषणा करें , वे चुनावी वायदे होते हैं वर्ना आज तक आपके एकाउंट में 15-15 लाख आ गये होते . कश्मीर नेशनल कांग्रेस ने भी धारा 370 को वापस लागू करने की बात कही है जोकि विधानसभा के क्षेत्राधिकार में नहीं है .
2. जिस पार्टी के जीतने की संभावना कम होती है वह अनाप शनाप वादे करती है जिसे पूरा कर पाना किसी के लिये भी संभव नहीं होता है . जैसे – पकिस्तान से चर्चा की बात करने वाली महबूबा मुफ्ती की पार्टी .
3. जब कोई पार्टी उफान की तरफ होती है तब उसपर गठबंधन के लिये ज़्यादा शर्ते नहीं थोपना चाहिए . उन्हें नुकसान हो या ना हो , आपका अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है . जैसा कि हरियाणा विकास कांग्रेस के साथ हुआ .
4. सामान्यतः गठबंधन से लाभ ही होता है . आपका सीटों में भी लाभ होता है और कम संसाधन में भी काम अच्छे से निपटता है . कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी से युति नहीं की और हरियाणा में सरकार बनाने का अवसर खो दिया.
अब पत्रकार माधो मुझसे बोले, तुम भी लगे हाथ अपनी विशेषज्ञता झाड़ लो, मन हल्का हो जाएगा . मैंने कहा ,
1. बीजेपी की पास नरेंद्र मोदी नाम का ऐसा ट्रम्प का इक्का है जो कहीं भी , कोई भी , बाज़ी जितवा देता है . वरना इन विधानसभा चुनावों में भी बीजेपी की ‘ कुकड़ू कू ‘ हो सकती थी .
2. यहां छ.ग. के स्थानीय निकाय के चुनाव में कांग्रेस अपनी गुटबाज़ी के चलते खुद की ‘ कुकड़ू कू’ करवाएगी .
इंजी. मधुर चितलांग्या , संपादक
दैनिक पूरब टाइम्स