पत्रकार माधो ने एक शादीशुदा मर्दों के लिए बेहद कठिन पहेली मुझसे पूछी । बताओ तुम्हारी ज़िंदगी में वह कौन है ? जिसे गैरों के पति गुण वाले और स्मार्ट दिखते हैं , अपना पति नज़र आता है निकम्मा
। अपनी सास में उसको दिखती है खलनायिका , गुणों की खान लगती है खुद की अम्मा । बहन के अपने गाती गुण, ननद से पट नहीं पाती। हमेशा ससुर , पिता से कमतर नज़र आते हैं । जहां काटना है सारे ज़िंदगी वो घर नहीं भाता , सदा अपने मायके के गुण वो गाती है । नज़र में उसकी,बेटी और बेटे में फरक होता है क्योंकि वो चाहती है बहू उसकी जने पोता । मैं तो नहीं बूझ पाया , आप इसका जवाब अपनी पत्नी को अवश्य बताना ।
पत्रकार माधो आगे बोले , कुछ बातें ऐसी होती हैं जो हम अपनी पत्नी से नहीं कह पाते और कोई दूसरा अपनी पत्नी से कहता है तो दिल को छू जाती हैं । मेरे एक मित्र बीमार पड़े थे । जैसे ही कोई दूसरी स्त्री उन्हें देखने आती थी , वह सिर पकड़ कर कराहने लगते । स्त्री पूछती , क्या सर में दर्द है ? वे कहते , सर फटा पड़ रहा है । स्त्री सहज ही उनके सर पर हाथ फ़िरा देती थी । उनकीपत्नी ने ताड़ लिया । कहने लगी , जब भी कोई स्त्री तुम्हें देखनेआती है, तभी तुम्हारा सिर क्यों दुखने लगताहै ? उन्होंने सटीक जवाब दिया ।मेरी तुम्हारे प्रति इतनी निष्ठा है कि जबभी कोई स्त्री मेरी ओर भावनात्मक नज़र डालती है, मेरा सिर दुखने लगता है ।
मैं पत्रकार माधो से भिड़ पड़ा और बोला , पत्नियों को व्यंग्य के केन्द्र में रखना , तब सम्भव था, जब प्रत्येक मध्यवर्गीय घर स्त्रियों का तिहाड़ हुआ करता था। उनको बिल्कुल पता नहीं होता था कि उनके पति बाहर क्या कर रहे हैं क्या कह रहे हैं ? व्यंग्य की दृष्टि से पत्नियों पर विचार करने पर तो मेरी आँखें गीली हो जाती हैं । सच पूछिए तो, वह समय-समय पर हम पर व्यंग्य बाण चला कर अपने इस ऐतिहासिक कर्तव्य का निर्वाह भी करती रहती हैं और हमें हमारी औकात याद दिला जाती है। वे चाहें तो कभी भी हम सभी पुरुषों का भांडा फोड़ कर रख दें । पत्रकार माधो ने कुछ कहने के लिये मुंह खोला ही था कि चाय का ट्रे लिए, छुपकर हमारी बातें सुनती, मेरी पत्नी पर, मेरी तरह ही, उनकी नज़र पड़ गयी । वे भी ज़ोर-ज़ोर से सर हिलाकर मेरी बातों पर हां में हां करने लगे ।
इंजी. मधुर चितलांग्या , संपादक
दैनिक पूरब टाइम्स