क्या सचिव के निर्देश को रद्दी की टोकरी में पुनः फेंका जायेगा ?
क्या प्रमुख अभियंता , जान बूझकर श्रम कानून की अवमानना करेगा ?
क्या भ्रष्टाचार की आड़ में जल संसाधन के ठेकेदार नियमों को ठेंगा दिखाते रहेंगे ?
पूरब टाइम्स , रायपुर . पिछले अंकों में हमने जल संसाधन विभाग में शिकायतों पर कार्यवाही ना करना तथा ईएनसी के कार्य व्यवहार के बारे में जानकारी दी थी . ठेकेदारों के पास कार्य करने वाले श्रमिकों के अधिकारों , सुरक्षा व उनकी जानकारियों में अपारदर्शिता के अलावा जल संसाधन विभाग के द्वारा अपने मौलिक कर्तव्यों की जगह ठेकेदारों को संरक्षण देने वाले कार्य व्यव्हार के बारे में भी बतलाया था. जानकारी में यह आया है कि कुछ समाज सेवियों ने प्रदेश शासन से इन मुद्दों पर सामाजिक अंकेषण की मांग की है ताकि ठेकेदारों के लिये लीपा-पोती करने वाले अधिकारी भी नप सकें . यह भी मालूम हुआ है कि सचिव , जल संसाधन ने भी इस तरह की शिकायतों को संज्ञान लेकर , प्रमुख अभियंता जल संसाधन को उचित कार्यवाही के लिये निर्देश दिये हैं . अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रमुख अभियंता , जल संसाधन विभाग , उस निर्देश का परिपालन पूरी ईमानदारी से करते हैं या कागज़ी कार्यवाही कर , अपने मातहत अधिकारियों व पसंद के रसूखदार ठेकेदारों को बचाने में लग जाते हैं ? पूरब टाइम्स को मिले अनेक कागज़ातों के आधार पर , यह रिपोर्ट ….
जल संसाधन सचिव ने की अभूतपूर्व पहल ठेकदारों की जवाबदेही सुनिश्चित हुई
श्रम कानून व्यवस्था कायम करने में सचिव जल संसाधन विभाग ने संज्ञान लेकर कार्यवाही प्रारंभ कर दी है । सामाजिक कार्यकर्ता अमोल मालुसरे के द्वारा श्रम कानून विषय पर दी गई नोटिस सूचना पर संज्ञान लेते हुए जल संसाधन विभाग के सचिव ने प्रमुख अभियंता को पत्र लिखकर निर्देशित किया है कि, जल संसाधन विभाग के लिए कार्य करने वाले ठेकेदारों के द्वारा श्रम कानून विषयक निर्देशित कार्यवाही कर स्पष्टीकरण मांगा है कि विभागीय ठेका कार्यों में श्रमिकों के अधिकार का संरक्षण किया जा रहा है कि नहीं ? उल्लेखनीय निर्देश जारी किए गए है की श्रम कानून व्यवस्था के वस्तुस्थिति की जानकारी शिकायतकर्ता को देखकर इससे सचिव जल संसाधन कार्यालय को भी अवगत कराया जाय गौर तलब रहे की सचिव जल संसाधन विभाग के द्वारा की गई इस अभूतपूर्व पहल छत्तीसगढ़ के श्रमिक क्षेत्र के लिए विशेष महत्व रखती है क्योंकि अब तक सचिव स्तर से श्रम अधिकार संरक्षण के लिए सीधे संज्ञान नहीं लिया गया है और प्रमुख अभियंता को श्रम अधिकार संरक्षण के लिए पूर्व में जवादबेही तय करने की शैली में निर्देशित भी जारी नहीं किया गया था अतः छत्तीसगढ़ के श्रमिकों के लिए जल संसाधन सचिव द्वारा संज्ञान लिया जाना एक उम्मीद की किरण है लेकिन आने वाले समय में स्पष्ट होगा कि इस आदेश का क्या होने वाला है ?
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क्या जल संसाधन विभाग का प्रमुख अभियंता श्रम कानून के संरक्षण की मंशा रखता है ?
जल संसाधन विभाग के ठेका कार्य दूरस्थ निर्जन स्थान पर होते हैं क्योंकि जल संसाधन के निर्माण कार्य विभाग स्तर के होते हैं और एक बड़ी मात्रा में जल संरक्षण की व्यवस्था विभाग द्वारा की जाती है . जल संधारण एवं संरक्षण कृषकों के साथ-साथ जन सामान्य के लिए भी बेहद महत्व का विषय है क्योंकि आम आदमी के लिए रोजाना लगने वाले पानी की व्यवस्था भी तकनीकी रूप से नियोजित जल संसाधन से होती है . विडंबना यह है कि जो श्रमिक जल संसाधन विभाग के ठेकेदारों के यहां काम कर रहे हैं, उनके अधिकारों के संरक्षण के लिए विभाग अब तक कोई पहल करता नजर नहीं आ रहा था परंतु अब सचिव स्तर से पहल कर श्रम कानून संरक्षण के लिए निर्देश जारी किए गए हैं . प्रमुख अभियंता की जवाबदेही भी तय कर दी गई है इसलिए अब आने वाला समय बताया कि श्रम कानून संरक्षण के निर्देश प्रमुख अभियंता कार्यालय के रद्दी की टोकरी का हिस्सा बनेंगे या वास्तविकता के धरातल पर आकर श्रमिक अधिकारों का संरक्षण करने के लिए जवाबदेह साबित होंगे ?
श्रम कानून के उल्लंघन के विशेष छूटधारी ठेकेदार कौन है, अब यह स्पष्ट हो जाएगा ?
बताया जा रहा है कि जल संसाधन विभाग के कुछ विशेष ठेकेदार हैं जिनको प्रमुख अभियंता के द्वारा विशेष महत्व दिया जा रहा है और इस महत्व के चलते हैं ठेकेदार के यहां कार्य करने वाले श्रमिकों के अधिकारों का खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन ठेकेदारों द्वारा किया जा रहा है. गौरतलब रहे कि प्रमुख अभियंता कार्यालय से श्रम कानून का उल्लंघन करने व श्रमिकों केनियोजन से संबंधित दस्तावेज प्रमाण नियमानुसार नहीं रखने वाले ठेकेदार के द्वारा जो अनियमितताएं की जा रही है , वे नियमितताएं दस्तावेजिक प्रमाण के अभाव में अब तक पकड़ में नहीं आ रही थी . अब सचिव जल संसाधन ने स्पष्ट निर्देश जारी करके प्रत्यक्ष रूप से सभी ठेकेदारों को जवाबदेह बना दिया है इसलिए अब यह कहे जाने की स्थिति हो गई है कि प्रमुख अभियंता के चहेते ठेकेदार अब श्रम कानून की अवमानना करने की स्थिति में नहीं रहेंगे, जिससे श्रम कानून तथा श्रमिक अधिकार संरक्षित होगा ।
श्रमिकों के अधिकार का विधि निर्देशित संरक्षण व्यवस्था किया जाना प्रशासकीय जिम्मेदारी का हिस्सा है जिसके लिए जल संसाधन विभाग के द्वारा सचिव स्तर से पहल किया जाना एक आदर्श प्रशासकीय कार्य आचरण है जो छत्तीसगढ़ के श्रमिकों के लिए उम्मीद की किरण है।
अमोल मालुसरे, सामाजिक कार्यकर्ता एवं अंकेक्षक