ठेकदारों के अनियमित कार्याचरण को प्रमुख अभियंता द्वारा संरक्षण देना कितना उचित है ?
श्रमिकों के अधिकार पर अतिक्रमण करने वाले ठेकेदारों को संरक्षण देना न्यायसंगत है क्या ?
आबादी और कृषि क्षेत्र के लिए पानी की व्यवस्था का लक्ष्य छत्तीसगढ़ कैसे हासिल करेगा ?
पूरब टाइम्स , रायपुर. छ.ग. का जल संसाधन विभाग इन दिनों सुर्खियों में है . इसका प्रमुख कारण विभाग के प्रमुख अभियंता आई. जे . उइके की कार्य प्रणाली है . सूत्रों के अनुसार इनके द्वारा ठेकेदारों को अविधिक संरक्षण देना , विभाग को सबसे अधिक बदनाम कर रहा है . मिली जानकारी के अनुसार एक बड़े ठेकेदार के द्वारा श्रमिक नियमों की अवहेलना से संबंधित , उचित कार्यवाही हेतु श्रम विभाग से प्रमुख अभियंता को पत्र भी मिला है परंतु उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया है . केवल इतना ही , उनके कार्यालय में पूरी तरह से पारदर्शिता का अभाव है . ईएनसी महोदय ने दिखाने के लिये मिलने के समय की तखती लगा रखी है परंतु ज़्यादातर समय ऑफिस से नदारद रहते हैं . उनके मातहत स्टाफ को भी उनके बारे में कोई जानकारी नहीं रहती है . ऐसा भी देखने में आया है कि वह मिलने आये हुए लोगों से बुचकने के लिये , घंटों उन्हें बिठाकर , चुपके से बिना बताये निकल जाते हैं . कतिपय समाज सेवी संस्थाओं व समाज सेवकों के द्वारा प्रमुख अभियंता को दिये गये नोटिस , पूरब टाइम्स के संज्ञान में आये हैं , जिन पर जांच व कार्यवाही करने की जगह , केवल कागज़ी खानापूर्ति कर ठंडे बस्ते में डालने के अभियान ज़ारी हैं. अब देखने वाली बात यह होगी कि जब विभागीय मंत्री व सचिव को सभी जानकारियों से संज्ञान कराया जाएगा तो उनकी क्या प्रतिक्रिया होगी ? ऐसे ही अनेक मामलों में से एक पर ,पूरब टाइम्स की पहली रिपोर्ट ..
क्या कृषकों और श्रमिकों के अधिकारों पर अतिक्रमण कर शासन से विश्वासघात नहीं कर रहा प्रमुख अभियंता ?
जल संसाधन विभाग के ठेकेदार कई मामलों में आरोपी बनाए जाने की स्थिति में हैं क्योंकि जल संसाधन विभाग के ठेकेदार ठेका कार्य अनुबंध शर्तों के विपरित ठेका कार्य सम्पादन कर रहें है . जिसके कारण प्रदेश के कृषक और श्रमिक दोनों के अधिकारों पर अतिक्रमण हो रहा है । गौर तलब रहे कि कई ठेका अनुबंधित ठेका शर्त मामलों में प्रमुख अभियंता ठेका कार्य अनुबंध शर्तों का अनुपालन सुनिश्चित करवाने में विफल नजर आ रहा है क्योंकि श्रमिकों का अधिकार सुनिश्चित करवाने वाले दस्तावेजिक प्रमाण नियमतः संधारित करवाने के पदेन कर्तव्यों को पूरा करने की पदेन जिम्मेदारी प्रमुख अभियंता पूरी नहीं करता नजर आ रहा है और प्रमुख अभियंता की अनियमित कार्य पद्धति के कारण प्रदेश की कृषि उपज क्षमता को बढ़ाए जाने का मामला अनियमितताओं का भेंट चढ़ रहा है ।
कृषि उपज को सीधे प्रभावित करने वाली प्रमुख अभियंता की विफलता प्रदेश की आर्थिक व्यवस्था को चरमरा देगी ?
प्रदेश की कृषि उपज, जल संसाधनों पर निर्भर करती है इसलिए छत्तीसगढ़ राज्य के प्रत्येक गांवों में तालाबों की व्यवस्था सदियों पहले से गई है. आधुनिक भारत में जल स्त्रोत की व्यवस्था करने का जिम्मा जल संसाधन विभाग पर है लेकिन छत्तीसगढ़ का विडंबनापूर्ण दुर्भाग्य है कि जल संसाधन विभाग का प्रमुख अभियंता ठेकेदारों के अनियमित कार्य का संरक्षण करता नजर आ रहा है. प्रदेश की एक बड़ी नदी, अरपा नदी के बहाव क्षेत्र के जल संसाधन आज भी बरसात पर निर्भर है और वर्षा जल का उचित नियोजन नहीं होने से अरपा नदी का बहाव क्षेत्र अनियोजित जल संसाधन क्षेत्र साबित हो रहा है. स्थानीय विधायक और सांसद अरपा नदी के जल संसाधन संरक्षण और संवर्धन में की जा रहीं ,प्रशासकीय गड़बड़ियों से अनिभिज्ञ हैं क्योंकि जल संसाधन विभाग छत्तीसगढ़ का प्रमुख अभियंता ठेकदार द्वारा की जा रहीं अनियमितताओं के संरक्षक की भूमिका में नजर आ रहा है ।
आबादी क्षेत्र के लिए पानी व्यवस्था करने में प्रमुख अभियंता की असफलता जनहित के लिए कितनी घातक है ,जान लीजिए ?
ऐसा बताया जा रहा है कि दुनिया को 2030 तक मीठे पानी की अनुमानित मांग और उपलब्ध आपूर्ति के बीच 40% तक की कमी का सामना करना पड़ सकता है । इसके अलावा, पुरानी जल कमी, जल विज्ञान संबंधी अनिश्चितता और चरम मौसम की घटनाओं (बाढ़ और सूखा) को वैश्विक समृद्धि और स्थिरता के लिए सबसे बड़े खतरों में से कुछ माना जाता है। नाजुकता और संघर्ष को बढ़ाने में जल की कमी और सूखे की भूमिका की मान्यता बढ़ रही है। 2050 तक 10 बिलियन लोगों को भोजन उपलब्ध कराने के लिए कृषि उत्पादन में 50% की वृद्धि की आवश्यकता होगी , (जो आज संसाधन का 70% उपभोग करता है), और पानी की निकासी में 15% की वृद्धि होगी। इस बढ़ती मांग के अलावा, दुनिया के कई हिस्सों में संसाधन पहले से ही दुर्लभ है। अनुमान बताते हैं कि दुनिया की 40% से अधिक आबादी पानी की कमी वाले क्षेत्रों में रहती है, और दुनिया के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग एक चौथाई हिस्सा इस चुनौती से प्रभावित है।
छत्तीसगढ़ राज्य के जल संसाधन को संरक्षित करने का जिम्मा प्रमुख अभियंता जल संसाधन विभाग का है इसलिए प्रमुख अभियंता कार्यालय की जवाबदेही सुनिश्चित करने के विधिक आधार पर समाजिक अकेक्षण कार्यवाही किया जाना आवश्यक है क्योंकि जल संसाधन और कृषि उपज जनहित का मामला है और श्रमिक अधिकार सामाजिक न्याय व्यवस्था का अभिन्न अंग है ।
अमोल मालुसरे
राजनीतिक विश्लेषक और समाज सेवक