कांग्रेस पार्टी का संगठनात्मक पुनर्गठन हाल के चुनावी झटकों के बाद उसकी रणनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ को दर्शाता है। राज्यों में जमीनी नेताओं को प्राथमिकता देने की नीति से स्पष्ट है कि कांग्रेस अब जमीनी स्तर पर मजबूती लाने की कोशिश कर रही है।
मुख्य बिंदु:
- राज्यों में नए नेतृत्व का उभार: महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना, और पश्चिम बंगाल में नए प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति यह दर्शाती है कि कांग्रेस अब हाई-प्रोफाइल चेहरों के बजाय जमीनी नेताओं को तरजीह दे रही है।
- ओडिशा में संभावनाएं: बीजद की सत्ता से संभावित विदाई के मद्देनजर भक्त चरण दास की नियुक्ति महत्वपूर्ण है।
- तेलंगाना में ओबीसी राजनीति: जाति जनगणना के बाद ओबीसी राजनीति के प्रभाव को देखते हुए महेश कुमार गौड़ की ताजपोशी की गई है।
- पश्चिम बंगाल में नई रणनीति: अधीर रंजन चौधरी की जगह शुभंकर सरकार को लाकर कांग्रेस ने ममता बनर्जी से सहयोग की संभावना का द्वार खुला रखा है।
- बिहार में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें: कांग्रेस अब राजद की पिछलग्गू भूमिका से बाहर निकलने की कोशिश में है, और आगामी 12 मार्च की बैठक के बाद स्थिति स्पष्ट हो सकती है।
- दिल्ली और झारखंड में सकारात्मक संकेत: दिल्ली में कांग्रेस का बढ़ता वोट शेयर और झारखंड में संगठन में बदलाव का लाभ पार्टी को मिला है।