केंद्र सरकार ने 25 जून को संविधान हत्या दिवस (Samvidhaan Hatya Diwas) मनाने का ऐलान किया है। इसकी अधिसूचना की वैधता को चुनौती देने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) समक्ष जनहित याचिका में ‘संविधान हत्या’ को चुनौती दी गई। जिसे लेकर अदालत ने केंद्र सरकार से एक हफ्ते में जवाब मांगा है। चीफ जस्टिस अरुण भंसाली और जस्टिस विकास बुधवार की खंडपीठ ने सोमवार को जनहित याचिका को लेकर सुनवाई की. यह जनहित याचिका संतोष कुमार दोहरे ने दाखिल की है।
याचिका में 25 जून को संविधान हत्या दिवस घोषित करने के लिए गत 11 जुलाई 2024 को जारी अधिसूचना को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की गई है। वहीं याचिका में कहा है कि यह संविधान की अवमानना है। आपातकाल संवैधानिक उपबंधों के तहत विशेष स्थिति से निपटने के लिए जरूरी होने पर लागू किया गया था। सरकार को संविधान के तहत ऐसा अधिकार प्राप्त है, इसलिए इसे संविधान की हत्या कहना संविधान का अपमान करना है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट अब इस मामले की सुनवाई 31 जुलाई को करेगा। गौरतलब है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक राजपत्र अधिसूचना साझा की थी जिसमें कहा गया था कि 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा, ताकि उन सभी लोगों को श्रद्धांजलि दी जा सके जिन्होंने ‘आपातकाल के दौरान सत्ता के घोर दुरुपयोग’ के खिलाफ संघर्ष किया।