राज्यसभा (Rajya Sabha) का चुनाव भारतीय संसद के द्व chambers में से एक का चुनाव है, और यह सीधे जनता द्वारा नहीं किया जाता। राज्यसभा के सदस्य राज्यों और संघ क्षेत्रों की विधानसभाओं और लोकसभा के सदस्यों द्वारा चुनावित होते हैं। राज्यसभा का चुनाव विधायिका के प्रतिनिधियों के माध्यम से होता है, और इस प्रक्रिया को प्रत्येक राज्य में प्रतिनिधित्व का आधार (proportional representation) कहा जाता है।
यहाँ राज्यसभा चुनाव की प्रक्रिया के प्रमुख बिंदु दिए गए हैं:
- चुनाव पद्धति: राज्यसभा के चुनाव में एक निर्वाचित प्रणाली का पालन किया जाता है, जिसका मतलब है कि राज्यसभा के सदस्य चुनाव में सीधे वोट नहीं देते हैं। इसके बजाय, सदस्य राज्यों की विधानसभाओं (राज्य विधानमंडल) और लोकसभा (संसद के निचले सदन) द्वारा चुने जाते हैं।
- प्रत्येक राज्य का प्रतिनिधित्व: हर राज्य का राज्यसभा में संख्या अलग-अलग होती है, जो उस राज्य की जनसंख्या पर निर्भर करती है। जनसंख्या के आधार पर राज्यों को राज्यसभा में प्रतिनिधित्व मिलता है, लेकिन हर राज्य का न्यूनतम प्रतिनिधित्व एक सुनिश्चित संख्या (2 सदस्य) तक सीमित है।
- प्रारंभिक स्थिति: राज्यसभा के सदस्य का चुनाव विधानसभाओं में किया जाता है, जहां हर विधायक राज्यसभा के सदस्य के लिए मतदान करता है।
- प्रति स्थान पर अधिकतम सदस्य: राज्यसभा के चुनावों में, जिन राज्यों में अधिक जनसंख्या होती है, उन्हें अधिक प्रतिनिधित्व दिया जाता है।
- प्रतिनिधि संख्या: प्रत्येक राज्य के प्रतिनिधियों की संख्या इस आधार पर तय की जाती है कि राज्य का हिस्सा कितना बड़ा है।
- निर्वाचन प्रक्रिया:
- राज्यसभा चुनाव में संविधान द्वारा नियुक्त प्रणाली लागू होती है।
- चुनाव में सदस्य के मतदान का अधिकार होता है, और कुल सदस्य चुनाव में भाग लेते हैं।
- विधायिका की स्थिति: प्रत्येक राज्य का राज्यसभा चुनाव पहले अलग-अलग निर्धारित संख्याओं में होता है, ताकि कोई एक सदस्य बन सके जो विधायक आदि के असमर्थ क्षेत्र द्वारा योग्य है।