संसद का शीतकालीन सत्र 1 दिसम्बर से शुरू हो गया है यह 19 दिसम्बर तक चलेगा. यानि यह सत्र सिर्फ 19 दिन का है और इसमें 15 बैठकें होंगी। इसमें सरकार को 10 विधेयक पेश करने हैं . सत्र शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री ने मुख्य विपक्षी कांग्रेस को निशाना बनाते हुए कह दिया कि कुछ पार्टियां हार नहीं पचा पाती हैं। उनके इस बयान को कांग्रेस ने अहंकार बताया है। वैसे संसद को सुचारू रूप से चलाने की पहली जिम्मेदारी सरकार की होती है। अगर सरकार विवाद के मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार हो जाए तो टकराव की 90 फीसदी संभावना समाप्त हो जाती है। सरकार के बाद दूसरी जिम्मेदारी विपक्ष की होती है, जिसने इस बात की गांठ बांध ली है कि संसद को बाधित करना भी संसदीय प्रक्रिया का हिस्सा है और इससे लोकतंत्र मजबूत होता है लेकिन इस रणनीति का ज्यादा इस्तेमाल आजकल नुकसानदेह हो रहा है । शुक्र है लोकसभा अध्यक्ष ने सर्वदलीय बैठक लेकर 8 दिसंबर को दोपहर 12 बजे से लोकसभा में राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ की 150वीं वर्षगांठ पर और 9 दिसंबर को दोपहर 12 बजे से चुनाव सुधारों पर चर्चा बिना टकराहट के आयोजित करने सबको मना लिया गया है. इस तरह से ही संसद सत्र का सदुपयोग होना चाहिये. आपकी क्या राय है ?
इंजी. मधुर चितलांग्या , संपादक , दैनिक पूरब टाइम्स


