जब दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक बेहद खराब श्रेणी में पहुंच जाता है, तब दिल्ली सरकार की तमाम कोशिशें होती हैं वायु की गुणवत्ता सुधार के लिये. अंततः इस खराब सूचकांक को कम कर ही दिया जाता है. पर उस जगह का क्या? जहां पर वायु प्रदूषण नंगी आंखों को रोज़ जलाता है परंतु सूचकांक नियंत्रण में बताकर पर्यावरण विभाग अपनी पीठ थपथपाता और पुरस्कार पाता है. जी हां, यह हमारे छत्तीसगढ़ का पर्यावरण विभाग है, जोकि टाटीबंध, हीरापुर, महोबा बाज़ार, उरला, बीरगांव, भिलाई 3 इत्यादि में रात को फैला हुआ ज़हरीला धुंआ नहीं देख पाता है. यदि साक्ष्य देखने हैं तो किसी भी छत पर सुबह जाकर काली राखड़ की लेयर देख सकते हैं. इसे कहते हैं आंकड़ों के खेल में हम जीत गये. आपकी क्या राय है ?
इंजी. मधुर चितलांग्या, संपादक


