ब्रिटेन ने अपने अंतिम कोयला बिजली संयंत्र के बंद होने से कोयला ऊर्जा को समाप्त किया। जानें भारत की ऊर्जा मांग और वैश्विक जलवायु लक्ष्यों के संदर्भ में क्या कहती है हालिया रिपोर्ट।
लंदन: यूनाइटेड किंगडम ने सोमवार को अपने अंतिम कोयला बिजली संयंत्र को बंद करने के साथ ही, कोयला ऊर्जा के साथ 140 सालों के संबंध को समाप्त कर दिया। यह महत्वपूर्ण कदम ब्रिटेन को G7 देशों के बीच पहला ऐसा देश बनाता है जिसने कोयला बिजली उत्पादन को पूरी तरह समाप्त किया है।
यह कोयला बिजली संयंत्र रैट्क्लिफ-ऑन-सोअर, नॉटिंघमशायर में स्थित है, जिसने पिछले 57 वर्षों तक ब्रिटेन को ऊर्जा प्रदान की। इस संयंत्र के 170 शेष कर्मचारियों ने संयंत्र के नियंत्रण कक्ष से अंतिम शटडाउन का लाइव स्ट्रीम देखने के लिए एकत्रित होने का निर्णय लिया है।
ब्रिटेन ने 2025 तक कोयला बिजली उत्पादन को समाप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया था और इस निर्णय के पीछे जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में उठाए गए कदम हैं। 1980 के दशक में कोयला बिजली उत्पादन ब्रिटेन की कुल ऊर्जा जरूरतों का 80 प्रतिशत था, जबकि 2012 में यह घटकर 40 प्रतिशत रह गया।
वैश्विक जलवायु लक्ष्य
संयुक्त राष्ट्र द्वारा पारित प्रस्ताव के अनुसार, पेरिस समझौते के तहत वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए, वैश्विक उत्सर्जन को 2030 तक 45 प्रतिशत तक कम करना आवश्यक है। इसके अतिरिक्त, 2050 तक नेट ज़ीरो तक पहुंचना जरूरी है, जिसमें कार्बन उत्सर्जन को उस स्तर तक घटाना शामिल है जिसे प्राकृतिक पर्यावरण अवशोषित कर सकता है।
भारत की ऊर्जा मांग
वर्तमान स्तरों के अनुसार, चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत और यूरोपीय संघ वैश्विक उत्सर्जन में 88 प्रतिशत का योगदान करते हैं। हालांकि, विकासशील देशों, जिनमें भारत भी शामिल है, ने एक निष्पक्ष नेट ज़ीरो लक्ष्य की मांग की है, जिसमें विकसित देशों को जल्दी लक्ष्य निर्धारित करने की जरूरत है और अन्य देशों को अधिक समय दिया जाना चाहिए। भारत का ‘नेट ज़ीरो उत्सर्जन’ लक्ष्य 2070 रखा गया है।
2024 में, भारत ने 250 गीगावॉट (GW) की अपनी उच्चतम ऊर्जा मांग दर्ज की। बढ़ती मांग को देखते हुए, भारत 2030 तक अपनी बिजली क्षमता को वर्तमान 427 GW से लगभग 900 GW तक बढ़ाने की योजना बना रहा है। केंद्र ने 2030 तक 500 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने का भी लक्ष्य रखा है। 2023-24 में भारत की कोयला से ऊर्जा उत्पादन 75 प्रतिशत रही।
अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी का सुझाव
अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) की ‘नेट ज़ीरो बाय 2050’ रिपोर्ट में विकासशील देशों के लिए 2040 तक कोयला-मुक्त ऊर्जा उपयोग का लक्ष्य रखने की सिफारिश की गई है। जबकि विकसित देशों के लिए यह लक्ष्य 2030 है।