लगभग 44 देशों के 11, 13, और 15 वर्ष की आयु के लगभग 2 लाख 80 हज़ार युवाओं से प्राप्त आँकड़ों पर आधारित यह रिपोर्ट, किशोरों के कल्याण पर बढ़ते संकट को उजागर करती है. इससे लड़कियाँ और आर्थिक रूप से वंचित किशोर सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं.
योरोप में WHO के क्षेत्रीय निदेशक डॉक्टर हैंस क्लूज ने कहा, “आज के किशोर अपने सामाजिक परिवेश में अभूतपूर्व चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. इसका उनके स्वास्थ्य और भविष्य की सम्भावनाओं पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ सकता है.”
उन्होंने ज़ोर देकर कहा, “इस रिपोर्ट के निष्कर्ष, हमारे लिए एक चेतावनी की तरह हैं कि हमारे युवजन जिन हालात में बड़े हो रहे हैं, उन्हें सुधारने के लिए हमें तुरन्त कार्रवाई करनी होगी.”
परिवार और साथियों का समर्थन घटा
किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य और समग्र विकास के लिए परिवार और साथियों का समर्थन महत्वपूर्ण है, फिर भी रिपोर्ट में दोनों में चिन्ताजनक गिरावट देखने को मिली है.
2021 से 2022 के बीच, केवल 68 प्रतिशत किशोरों को अपने परिवारों से समर्थन महसूस हुआ, जबकि 2018 में यह आँकड़ा 73 प्रतिशत पर था.
लड़कियों के लिए यह गिरावट और भी तीव्र थी. केवल 64 प्रतिशत ने मज़बूत पारिवारिक समर्थन महसूस किया, जबकि 2018में यह संख्या 72 प्रतिशत थी.
इसी तरह, सहपाठियों से समर्थन में भी तीन प्रतिशत की गिरावट आई है. यह गिरावट, ख़ासतौर पर बड़े किशोरवर्ग के बीच अधिक स्पष्ट थी, जो पहले से ही मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों के प्रति अधिक संवेदनशील हैं.
रिपोर्ट में यह भी दिखाया गया है कि सामाजिक-आर्थिक स्थिति किशोरों के अनुभवों को आकार देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जिसमें कम आय वाले किशोरों और संपन्न परिवारों के किशोरों के बीच नौ प्रतिशत का अन्तर है.
यह अन्तर, सहपाठियों के साथ सम्बन्धों में भी देखने को मिला, जिसमें वंचित पृष्ठभूमि वाले किशोरों को, अपने दोस्तों या सहपाठियों से समर्थन मिलने की सम्भावना कम ही रहती है.
कक्षा में बढ़ता तनाव
शैक्षणिक दबाव बढ़ रहा है, जिसके किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य पर गम्भीर असर पड़ रहा है.
अध्ययन के दौरान, 15 साल की दो-तिहाई लड़कियों ने स्कूल के काम से अत्यधिक दबाव महसूस होने की बात कही, जो 2018 में 54 प्रतिशत के मुक़ाबले काफ़ी अधिक है. लड़कों ने भी बढ़ते दबाव की सूचना दी, हालाँकि लड़कों में इसकी दर अपेक्षाकृत कम थी.
रिपोर्ट के लेखकों में से एक, डॉक्टर इरीन गार्सिया-मोया ने कहा, “किशोरों पर बढ़ता दबाव एक बहुआयामी मुद्दा है. लड़कियाँ अक्सर अकादमिक उत्कृष्टता और पारम्परिक सामाजिक की भूमिकाओं की अपेक्षाओं के बीच फँस जाती हैं, जबकि लड़कों परअक्सर मज़बूत और आत्मनिर्भर दिखने का दबाव होता है, जिससे वो आवश्यक समर्थन माँगने से हिचकिचाते हैं.”
रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि लड़कियों को अपने शिक्षकों से समर्थन मिलने की सम्भावना कम होती है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन में योरोप के राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीतियों एवं प्रणाली निदेशक, डॉक्टर नताशा अज़ोपार्डी-मस्कट ने चेतावनी देते हुए कहा, “यह रिपोर्ट, किशोर लड़कियों के लिए समर्थन प्रणालियों में एक गम्भीर एवं बढ़ती खाई की ओर इशारा करती है, जो न केवल स्कूल से बढ़ते दबावों का सामना करती हैं, बल्कि परिवार एवं शिक्षकों से भी उन्हें कम ही समर्थन हासिल होता है.”
उन्होंने इस मुद्दे के लैंगिक आयाम की गम्भीरता पर ध्यान देने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा, “यह पहली बार नहीं है जब HBSC अध्ययन में, लड़कों और लड़कियों के स्वास्थ्य पर अलग-अलग असर होने की बात कही गई है.”
कार्रवाई के लिए सिफ़ारिशें
WHO क्षेत्रीय निदेशक, डॉक्टर हैंस क्लूज ने कहा, “हमारी रिपोर्ट से यह स्पष्ट है कि इन चुनौतियों का सामना कोई भी क्षेत्र या उद्योग अकेले नहीं कर सकता.” उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में तुरन्त, समन्वित रूप से प्रयास किए जाने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया है.
उन्होंने कहा, “सुरक्षित और अधिक समावेशी स्कूली माहौल बनाना, आवश्यकतानुसार आर्थिक समर्थन प्रदान करना और लिंग-संवेदनशील हस्तक्षेप लागू करना, इन सभी उपायों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य एवं सार्वजनिक नीति के विभिन्न क्षेत्रों की भागेदारी ज़रूरी है.”
मुख्य सिफ़ारिशों में परिवार का समर्थन मज़बूत करने के लिए, परिवारों पर लक्षित नीतिगत हस्तक्षेप पेश किए गए है, जैसेकि अभिभावकों के लिए विशेष कार्यक्रम और कम आय वाले परिवारों के लिए वित्तीय सहायता.
इसके अलावा स्कूलों में दबाव घटाना भी ज़रूरी है. लेखकों ने स्कूलों के लिए अधिक सन्तुलित होमवर्क नीतियाँ, कक्षाओं का आकार घटाने तथा पाठ्यक्रम में मानसिक स्वास्थ्य समर्थन एकीकृत करने की सिफ़ारिश की है.
इसके अलावा, सामाजिक नीतियों और कार्यक्रमों के माध्यम से असमानताओं को दूर करना, जो हाशिए पर रहने वाले समुदायों को प्राथमिकता देते हैं, महत्वपूर्ण है.
डॉक्टर हैंस क्लूज ने नीति निर्माण प्रक्रिया के हर चरण में किशोरों को शामिल करने के महत्व पर ज़ोर दिया. उन्होंने बताया कि “यह विश्व स्वास्थ्य संगठन योरोप की प्रमुख Youth4Health पहल का एक प्रमुख हिस्सा है, जिससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि युवजन उन निर्णयों में अहम भूमिका निभाएँ, जो उनके जीवन पर सीधा असर डालते हैं.”