सुरक्षा परिषद में कोई भी मसौदा प्रस्ताव पारित होने के लिए, 15 में से 9 सदस्यों का समर्थन ज़रूरी होता है, बशर्ते कि किसी स्थाई सदस्य ने वीटो नहीं किया हो.
ग़ौरतलब है कि सुरक्षा परिषद के 5 स्थाई सदस्यों – चीन, फ़्रांस, ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस को वीटो अधिकार प्राप्त है.
बुधवार को रखे गए मसौदा प्रस्ताव के समर्थन में 14 मत और विरोध में एक मत पड़ा, जोकि संयुक्त राज्य अमेरिका का वीटो था.
वीटो केवल प्रतीक भर नहीं
सुरक्षा परिषद में बुधवार को जब एक स्थाई सदस्य संयुक्त राज्य अमेरिका ने अपने वीटो अधिकार का प्रयोग किया तो लगभग उसी समय 193 सदस्यों वाली यूएन महासभा ने भी अपनी बैठक आयोजित की.
यूएन महासभा के अध्यक्ष फ़िलेमॉन यैंग ने कहा, ” हम अक्सर वैश्विक संकटों के समाधान निकालने में जड़ता, निष्क्रियता और असामर्थ्य का सामना करे रहे हैं.”
उन्होंने इस बैठक के आरम्भ में कहा, “हमने इस तरह की जड़ता को, ग़ाज़ा, सीरिया, माली, कोरियाई लोकतांत्रिक जन गणराज्य (उत्तर कोरिया), यूक्रेन और सूडान में संकटपूर्ण स्थितियों से निपटने में बाधाएँ खड़ी की हैं.”
फ़िलेमॉन यैंग ने कहा कि यूएन महासभा ने वर्ष 2022 में एक प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया था जिसमें ये सुनिश्चित किया गया है कि जब भी कोई स्थाई सदस्य वीटो का प्रयोग करे, तो सुरक्षा परिषद को ज़िम्मेदार ठहराया जाए.
उन्होंने बताया कि इस प्रस्ताव के पारित होने के बाद से, महासभा में 10 चर्चाएँ हो चुकी हैं.
फ़िलेमॉन यैंग ने कहा कि वीटो अधिकार की मौजूदगी इस परेशान करने वाली वास्तविकता को दिखाती है कि सुरक्षा परिषद के भीतर मतभेद, संयुक्त राष्ट्र की इस अहम संस्था को कार्रवाई करने से रोक रहे हैं.
उन्होंने साथ ही कहा कि मगर इस तरह के हालात में, “महासभा कार्रवाई करने के लिए हस्तक्षेप कर सकती है.”
बुधवार की इस बैठक में सदस्य देश, वीटो के मुद्दे पर चर्चा में शिरकत करते हुए अपने विचार रख रहे हैं.
युद्धविराम से ज़िन्दगियाँ बच सकती थीं, फ़लस्तीन
फ़लस्तीन के उप स्थाई पर्यवेक्षक माजिद बामया ने मसौदा प्रस्ताव पर मतदान के बाद सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए कहा कि किसी को भी आम लोगों को बड़े पैमाने पर मार देने, पूरी नागरिक आबादी को भूखा रखने, लोगों को जबरन विस्थापित करने और इलाक़े को छीनने का अधिकार हासिल नहीं है.
उन्होंने कहा, “इसराइल ग़ाज़ा में बिल्कुल यही कर रहा है. यही इसराइल के युद्ध लक्ष्य हैं. युद्धविराम की अनुपस्थिति, इसराइल को यह सबकुछ करने की अनुमति दे रही है.”
माजिद बामया ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि फ़लस्तीनी लोगों और फ़लस्तीनी ज़मीन के ख़िलाफ़ इसराइल का “पूर्ण युद्ध”, केवल “बन्धकों के बारे में नहीं है.
उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा, “अगर बन्धकों के परिवार यह देख और समझ सकते हैं, तो इस चैम्बर में सभी लोग क्यों नहीं देख व समझ सकते.”
माजिद बामया ने साथ ही ज़ोर देकर कहा कि युद्धविराम लागू होने से ज़िन्दगियाँ बचतीं, सभी ज़िन्दगियाँ.
उन्होंने कहा कि युद्धविराम से सबकुछ हल नहीं हो जाता है, मगर कोई भी समाधान निकालने के लिए यह पहला क़दम है. जो सदस्य देश इतनी बड़ी संख्या में लोगों की मौतों और व्यापक विनाश के बाद भी, बिना शर्त युद्धविराम की पुकार को समर्थन देने में इच्छुक नहीं हैं, उन्हें अपने सवालों के और क्या जवाब चाहिएँ.
उन्होंने कहा, “क्या यह मान लिया जाए कि जब तक हम कोई समाधान नहीं निकाल लें, तब तक लोगों की जानें यूँ ही जाती रहें, जबकि हम यह भी देख रहे हैं कि हम कोई भी समाधान नहीं निकाल रहे हैं.”
इसराइल ने मसौदा प्रस्ताव रद्द होने की सराहना की
इसराइल के राजदूत डैनी डैनॉन ने मसौदा प्रस्ताव को रद्द करने के लिए सुरक्षा परिषद का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि ग़ाज़ा पट्टी में विकट हालात के लिए हमास ज़िम्मेदार है.
इसराइली राजदूत ने कहा कि इसराइल अपनी सुरक्षा करने के लिए, अपनी तरफ़ से कोई क़सर बाक़ी नहीं छोड़ेगा और ना ही 7 अक्टूबर को हिरासत में लिए गए बन्धकों की आज़ादी के लिए लड़ाई नहीं रोकेगा.
डैनी डैनॉन ने कहा कि सुरक्षा परिषद के पास न्याय की तरफ़ खड़े होने का अवसर था. इतिहास इस मतदान को याद रखेगा और उन्हें भी जिन्होंने बन्धकों का साथ देने का रुख़ अपनाया और उन अन्य पक्षों को भी जिन्होंने आतंकवादियों का बचाव करने के लिए, बन्धकों के साथ धोखा किया.