इन दिनों जापान में पैदा हुए हालात ने दुनिया की चिंता बढ़ा दी है। यहां जानलेवा इन्फेक्शन ने आतंक मचा दिया है, जिसकी चपेट में कई लोग आ गए हैं। इस बीमारी को स्ट्रेप्टोकोकल टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम या ‘मांस खाने वाला बैक्टीरिया के नाम से जाना जाता है। यह संक्रमण के 48 घंटों के भीतर घातक हो सकता है।
77 लोगों की हुई मौत
जापान में तेजी से फैल रहे इस खतरनाक इन्फेक्शन की मृत्यु दर 30 तक है। बताया जा रहा है कि जनवरी और मार्च के बीच इस संक्रमण से लगभग 77 लोगों की मौत हो चुकी है। पिछले साल इसकी चपेट में आने से 97 लोगों की मौत हो गई थी। कहा जा रहा है ये बीमारी 48 घंटों के भीतर लोगों की जान ले सकती है।
अब तक 977 मामले आए सामने
एसटीएसएस तब होती है जब बैक्टीरिया शरीर के भीतरी ऊतकों और खून की धारा में फैल जाते हैं। इस साल 2 जून तक जापान में एसटीएसएस के 977 मामले सामने आए हैं, जो पिछले साल दर्ज किए गए रिकॉर्ड 941 मामलों से ज़्यादा है। शुरुआत में मरीजों को बुखार, मांसपेशियों में दर्द और उल्टी जैसे लक्षण होते हैं। इसके अलावा कई मरीजों को ब्लड प्रेशर, शरीर में सूजन और कई अंगों का काम करना बंद कर देना जैसे लक्षण भी दिखते हैं।
ये हैं इस बीमारी के लक्षण
इस बीमारी के चपेट में आने से 24 से 48 घंटों के अंदर यह लो ब्लड प्रेशर, अंगों की विफलता, तेज दिल की धड़कन और सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याएं पैदा कर सकता है। एसटीएसएस से बचाव के लिए अच्छी तरह से हाथ धोना और खांसते या छींकते समय मुंह को ढंकना जैसी अच्छी आदतों का पालन करना जरूरी है। इन गंभीर लक्षणों के इलाज और जटिलताओं को रोकने के लिए जल्दी से डॉक्टरी सलाह लेना बहुत जरूरी है।
इस तरह फैलती है ये बीमारी
डॉक्टरों का कहना है कि पहले मरीज के शरीर खासकर पैर में सूजन दिखती है, फिर कुछ घंटों बाद यह पूरे शरीर में फैल जाती है। इसके बाद 48 घंटों के भीतर मरीज की मौत हो जाती है। यह बैक्टीरिया शरीर में जहरीला पदार्थ पैदा करता है, जिससे जलन होने लगती है। फिर यह शरीर में टिशू को डैमेज करता है, जिससे सूजन फैलने लगती है। इसके बाद टिशू मरीज के मांस को खाने लगते है, जिससे तेज दर्द होने लगता है।