मानव इतिहास में नरभक्षण (Cannibalism) की घटनाएं बहुत ही दुर्लभ रही हैं, लेकिन हाल ही में किए गए शोध से चौंकाने वाले प्रमाण सामने आए हैं। वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने यह खुलासा किया है कि करीब 18,000 साल पहले मैग्डालेनियन युग में मानव समुदायों में नरभक्षण की प्रथा प्रचलित थी। यहां तक कि इंसानों का मस्तिष्क तक खाया जाता था।
मैग्डालेनियन युग और नरभक्षण के प्रमाण
मैग्डालेनियन युग उत्तरी पुरापाषाण काल का हिस्सा था, जब मानव शिकारी-संग्राहक हुआ करते थे। अब तक यह स्पष्ट नहीं था कि उस दौर के लोग कैसे मरते थे और उनका अंतिम संस्कार कैसे किया जाता था। लेकिन हालिया शोध में मिले प्रमाणों से संकेत मिलता है कि इंसानों के शवों का उपयोग न केवल अनुष्ठानिक उद्देश्यों के लिए किया जाता था, बल्कि पोषण के लिए भी उनके मांस को खाया जाता था।
शवगृहों में मिले कटने के निशान
वैज्ञानिकों को पोलैंड की माज़ीचा गुफा में स्थित मानव हड्डियों पर विशेष प्रकार के कटने के निशान मिले हैं, जो नरभक्षण की ओर इशारा करते हैं। पहले इन निशानों के कारणों को लेकर बहस होती रही थी, लेकिन नए विश्लेषण से यह सिद्ध हुआ कि ये निशान हड्डियों की सफाई के लिए नहीं, बल्कि भोजन के लिए किए गए थे।
आगे पढ़ेहड्डियों के उपयोग और अजीबोगरीब प्रथाएं
शोध में यह भी पाया गया कि मैग्डालेनियन लोग इंसानी हड्डियों का उपयोग गहने बनाने के लिए करते थे। इसके अलावा, खोपड़ियों को कप के रूप में इस्तेमाल करने के प्रमाण भी मिले हैं। इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि नरभक्षण केवल भोजन की आवश्यकता के कारण ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक या अनुष्ठानिक कारणों से भी किया जाता था।
संशय दूर करने वाले नए प्रमाण
शुरुआती दलीलें दी जा रही थीं कि हड्डियों पर दांतों के निशान नहीं पाए गए थे, इसलिए नरभक्षण का दावा संदिग्ध है। लेकिन नए अध्ययन में विस्तृत विश्लेषण करने पर यह स्पष्ट हुआ कि इंसानों का मस्तिष्क तक खाया जाता था। शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि भोजन की कमी और जनसंख्या वृद्धि के कारण प्रतिस्पर्धा बढ़ी, जिससे संघर्ष और युद्ध हुए, और नरभक्षण की परंपरा पनपी।
नरभक्षण: आवश्यकता या परंपरा?
ऐसा माना जाता है कि उस समय लोग या तो अपने ही मृतकों का मांस खाते थे या फिर युद्ध में मारे गए दुश्मनों के शवों का उपभोग करते थे। यह एक रणनीतिक और सांस्कृतिक गतिविधि भी हो सकती थी, जो उस युग की कठोर जीवनशैली को दर्शाती है।
निष्कर्ष
नए वैज्ञानिक शोध से यह स्पष्ट होता है कि मैग्डालेनियन युग में नरभक्षण एक वास्तविकता थी। यह केवल भूख मिटाने की जरूरत नहीं थी, बल्कि एक परंपरा भी थी, जिसमें इंसानी खोपड़ी और हड्डियों का पुन: उपयोग किया जाता था। यह अध्ययन मानव इतिहास की कुछ सबसे अजीबोगरीब और चौंकाने वाली परंपराओं को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
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