हाइड्रोजन बम, जिसे थर्मोन्यूक्लियर बम भी कहा जाता है, परमाणु बम से कहीं अधिक खतरनाक और शक्तिशाली है। हाइड्रोजन बम का विस्फोट परमाणु बम से करीब 1000 गुना ज्यादा शक्तिशाली हो सकता है। यह बम 1954 में अमेरिका द्वारा परीक्षण किया गया था और यह अब तक का सबसे बड़ा विस्फोट था। इसे बनाने में दो हल्के परमाणुओं (जैसे ड्यूटीरियम और ट्राइटिरियम) के संलयन (fusion) की प्रक्रिया का उपयोग किया जाता है, जिससे ऊर्जा उत्पन्न होती है।
आगे पढ़ेहाइड्रोजन बम और परमाणु बम के बीच मुख्य अंतर यह है कि परमाणु बम में विखंडन (fission) की प्रक्रिया होती है, जबकि हाइड्रोजन बम में संलयन (fusion) की प्रक्रिया होती है। संलयन में हल्के तत्व मिलकर भारी तत्व बनाने के साथ विशाल ऊर्जा उत्पन्न करते हैं, जो हाइड्रोजन बम को और भी अधिक शक्तिशाली बनाता है।
हाइड्रोजन बम का अब तक इस्तेमाल नहीं हुआ है, लेकिन इसकी ताकत और प्रभाव को देखते हुए इसे एक भयंकर हथियार माना जाता है। यह बम इतनी शक्तिशाली है कि इसके इस्तेमाल से पूरे देशों का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है।
इस बम का परीक्षण 1954 में प्रशांत महासागर के मार्शल द्वीपसमूह में बिकिनी द्वीप पर किया गया था। विस्फोट की तीव्रता इतनी अधिक थी कि परीक्षण में इस्तेमाल यंत्र भी इसे मापने में असफल हो गए थे।
इसके विपरीत, परमाणु बम का इस्तेमाल केवल एक बार हुआ था जब अमेरिका ने 1945 में हिरोशिमा और नागासाकी पर बम गिराए थे। इसके बाद, परमाणु हथियारों के खतरे को नियंत्रित करने के लिए 1968 में नॉन प्रॉलिफ़रेशन ट्रीटी (NPT) पर 190 देशों ने हस्ताक्षर किए थे।
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