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Friday, December 27, 2024

“जानें असहयोग आंदोलन के महत्वपूर्ण कारण और परिणाम”

असहयोग आंदोलन (Non-Cooperation Movement) भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण घटना थी। इसे महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ अहिंसात्मक असहयोग के रूप में शुरू किया।

असहयोग आंदोलन का आरंभ:

  • तिथि: 1 अगस्त 1920
  • स्थान: पूरे भारत में
  • नेतृत्व: महात्मा गांधी

प्रमुख कारण:

  1. रौलेट एक्ट (1919): इस कानून के तहत ब्रिटिश सरकार को भारतीयों को बिना मुकदमे के जेल में डालने का अधिकार मिला। इससे भारतीयों में भारी आक्रोश था।
  2. जलियांवाला बाग हत्याकांड (13 अप्रैल 1919): अमृतसर में जनरल डायर द्वारा निहत्थे भारतीयों पर गोलियां चलाने की घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया।
  3. खिलाफत आंदोलन: तुर्की के खलीफा को हटाने के खिलाफ मुसलमानों में असंतोष था। गांधीजी ने हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए इस आंदोलन को समर्थन दिया।
  4. ब्रिटिश आर्थिक नीतियां: भारतीय उद्योग-धंधों का विनाश और ब्रिटिश वस्त्रों का अत्यधिक प्रचार भारतीयों के लिए नुकसानदेह साबित हो रहा था।

आंदोलन के उद्देश्य:

  1. ब्रिटिश सरकार और उसकी नीतियों का बहिष्कार।
  2. ब्रिटिश वस्त्रों, संस्थानों और न्यायालयों का असहयोग।
  3. भारतीय वस्त्रों (खादी) और स्वदेशी उत्पादों का उपयोग बढ़ाना।
  4. भारतीय राष्ट्रीय संस्थानों और शिक्षा प्रणाली को विकसित करना।

प्रमुख कार्यक्रम:

  1. सरकारी उपाधियों और नौकरियों का त्याग।
  2. ब्रिटिश वस्त्रों और विदेशी सामान का बहिष्कार।
  3. सरकारी स्कूलों, कॉलेजों और अदालतों से दूरी बनाना।
  4. चर्खा और खादी का प्रचार।

आंदोलन की समाप्ति:

  • तिथि: 12 फरवरी 1922
  • कारण: चौरी-चौरा कांड (उत्तर प्रदेश) में एक हिंसक घटना में पुलिस थाने में आग लगाई गई, जिससे 22 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई। गांधीजी ने इसे आंदोलन की अहिंसक नीति के खिलाफ मानते हुए तुरंत आंदोलन वापस ले लिया।

परिणाम:

  1. भारतीय जनता में राष्ट्रीय भावना का जागरण हुआ।
  2. स्वदेशी आंदोलन को बल मिला।
  3. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को जन समर्थन में वृद्धि हुई।
  4. ब्रिटिश सरकार के खिलाफ जन असंतोष बढ़ा।

असहयोग आंदोलन ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी और जनता को स्वतंत्रता के लिए संगठित किया।

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