सिकल सेल बीमारी (Sickle Cell Disease) एक आनुवंशिक (genetic) रक्त विकार है, जिसमें रक्त में मौजूद लाल रक्त कोशिकाएँ (Red Blood Cells) सामान्य गोल और लचीली आकृति के बजाय अर्धचंद्राकार (सिकल या हंसिए के आकार) की हो जाती हैं।
मुख्य तथ्य:
- कारण:
- यह बीमारी एक अनुवांशिक दोष के कारण होती है, जिसमें हीमोग्लोबिन जीन में बदलाव होता है।
- जिन लोगों को माता-पिता से दोषपूर्ण जीन मिलता है, उनमें यह बीमारी होती है।
- Sickle Cell Trait: जब व्यक्ति को केवल एक माता-पिता से दोषपूर्ण जीन मिलता है, तो उसमें बीमारी के लक्षण हल्के होते हैं या नहीं होते।
- Sickle Cell Disease: जब दोनों माता-पिता से दोषपूर्ण जीन मिलता है, तो यह गंभीर रूप ले लेता है।
- लक्षण:
- थकावट और कमजोरी।
- एनीमिया (रक्ताल्पता)।
- जोड़ों, हड्डियों और मांसपेशियों में तेज दर्द (जिसे सिकल सेल क्राइसिस कहते हैं)।
- सूजन (विशेषकर हाथ और पैर में)।
- संक्रमण का अधिक जोखिम।
- पीलिया (त्वचा और आंखों का पीला होना)।
- यह समस्या क्यों होती है?
- सामान्य लाल रक्त कोशिकाएँ लचीली और गोल होती हैं, जो रक्त वाहिकाओं के माध्यम से आसानी से प्रवाहित हो सकती हैं।
- लेकिन सिकल आकार की कोशिकाएँ कठोर और चिपचिपी होती हैं, जिससे वे छोटी रक्त वाहिकाओं में अटक जाती हैं और रक्त प्रवाह को बाधित कर देती हैं।
- इससे शरीर के अंगों में ऑक्सीजन की आपूर्ति कम हो जाती है, जिससे दर्द और अंगों को नुकसान होता है।
- उपचार:
- दर्द प्रबंधन: दर्द कम करने के लिए दवाएँ दी जाती हैं।
- हीमेटोपोइएटिक स्टेम सेल ट्रांसप्लांट (Bone Marrow Transplant): यह स्थायी इलाज का एक विकल्प हो सकता है, लेकिन यह सभी रोगियों के लिए उपलब्ध नहीं है।
- हाइड्रोक्सीयूरिया (Hydroxyurea): यह दवा लाल रक्त कोशिकाओं की सामान्य कार्यप्रणाली में सुधार करती है।
- रक्त संक्रमण (Blood Transfusion): गंभीर एनीमिया और जटिलताओं के लिए किया जाता है।
- स्वस्थ जीवनशैली और संक्रमण से बचाव के लिए टीकाकरण और एंटीबायोटिक्स का उपयोग।
- रोकथाम:
- रोकथाम केवल तभी संभव है जब प्रसवपूर्व जांच (prenatal screening) या शादी से पहले जीन परीक्षण कर यह सुनिश्चित किया जाए कि माता-पिता दोनों में दोषपूर्ण जीन न हो।
यह बीमारी अधिकतर उन क्षेत्रों में देखी जाती है जहां मलेरिया प्रचलित है, जैसे अफ्रीका, भारत के कुछ हिस्से, मध्य पूर्व और भूमध्य सागर क्षेत्र। भारत में, यह विशेष रूप से आदिवासी इलाकों में अधिक प्रचलित है।