प्राणायाम एक योग प्रक्रिया है, जो श्वास (सांस) को नियंत्रित करने के लिए की जाती है। यह शरीर और मस्तिष्क को शांति, शुद्धता और शक्ति प्रदान करने के लिए उपयोगी है। प्राणायाम का मतलब होता है ‘प्राण’ (जीवन शक्ति) और ‘आयाम’ (नियंत्रण) का मिलाजुला रूप। यह योग के विभिन्न आसनों से संबंधित नहीं है, बल्कि यह एक श्वसन तकनीक है, जो शरीर के भीतर ऊर्जा के प्रवाह को संतुलित करती है।
प्राणायाम के प्रमुख प्रकार:
- कपालभाति:
- यह एक श्वास सम्बंधी प्राणायाम है जिसमें तेजी से सांस छोड़ने का अभ्यास किया जाता है। यह पेट की मांसपेशियों को सशक्त बनाता है और मानसिक स्थिति को स्पष्ट करता है।
- अनुलोम-विलोम (नाड़ी शोधन):
- यह सबसे प्रसिद्ध प्राणायाम है, जिसमें एक नथुने से सांस खींचते हैं और दूसरे से छोड़ते हैं। यह मानसिक शांति और तनाव को कम करने में सहायक है।
- भस्त्रिका:
- इसमें गहरी और तेज़ श्वास ली जाती है। यह शारीरिक और मानसिक शक्ति को बढ़ाता है और शरीर को ताजगी प्रदान करता है।
- ब्रह्मरी:
- इस प्राणायाम में, श्वास को छोड़ते समय ‘हं’ की ध्वनि उत्पन्न की जाती है। यह मानसिक शांति और तनाव को कम करने के लिए किया जाता है।
- उज्जयी:
- इसमें श्वास को धीमे-धीमे अंदर खींचा जाता है और गले से हल्की ध्वनि के साथ बाहर छोड़ा जाता है। यह ऊर्जा के प्रवाह को नियंत्रित करने और मन की एकाग्रता बढ़ाने में मदद करता है।
प्राणायाम के लाभ:
- मानसिक शांति और तनाव को कम करना
- शारीरिक ताकत और सहनशक्ति में वृद्धि
- श्वसन तंत्र को मजबूत बनाना
- रक्त संचार में सुधार
- बेहतर एकाग्रता और मानसिक स्पष्टता
प्राणायाम की विधि:
- शांति और आराम से बैठें (सिद्धासन, पद्मासन या सुखासन में)।
- गहरी और नियंत्रित श्वास लेना शुरू करें।
- हर प्राणायाम की विधि अलग-अलग होती है, इसलिए उसे सही प्रकार से करना महत्वपूर्ण है।
- धीरे-धीरे सांसों को नियंत्रित करें और एकाग्रता से अभ्यास करें।
प्राणायाम नियमित रूप से करने से शरीर और मन को अनगिनत लाभ मिलते हैं। यह योग और ध्यान के अन्य अभ्यासों के साथ संयोजन में अत्यधिक प्रभावी होता है।