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Sunday, February 9, 2025
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फिस्टुला : कारण, प्रकार, लक्षण और उपचार की विस्तृत जानकारी

फिस्टुला (Fistula) एक असामान्य नली या ट्यूब जैसी संरचना होती है, जो शरीर के दो अंगों या अंगों की सतहों के बीच विकसित होती है, जहां स्वाभाविक रूप से कोई कनेक्शन नहीं होना चाहिए। यह एक रोगात्मक स्थिति है जो शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है, जैसे गुदा, मलाशय, मूत्र मार्ग, आंतें, आदि। फिस्टुला का सामान्य कारण संक्रमण, चोट या सर्जरी हो सकता है, लेकिन यह विभिन्न रोग स्थितियों के कारण भी उत्पन्न हो सकता है।

फिस्टुला के प्रकार:

  1. पेरिअनल (गुदा) फिस्टुला:
    • यह सबसे सामान्य प्रकार का फिस्टुला है, जो गुदा (Anus) और त्वचा के बीच विकसित होता है।
    • यह आमतौर पर संक्रमण या गुदा ग्रंथियों के ब्लॉकेज के कारण बनता है, जिससे फोड़ा (Abscess) हो सकता है।
    • लक्षणों में गुदा के पास दर्द, सूजन, पस या मवाद का निकलना, खुजली, और बुखार शामिल हो सकते हैं।
  2. आंत्र फिस्टुला (Intestinal Fistula):
    • यह आंतों के बीच या आंतों और अन्य अंगों, जैसे त्वचा या मूत्राशय के बीच एक असामान्य संपर्क होता है।
    • यह आमतौर पर संक्रमण, आंतों की सूजन, या सर्जरी के बाद हो सकता है।
    • आंत्र फिस्टुला की वजह से मल या गैस अन्य अंगों में जाने लगती है, जिससे गंभीर जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं।
  3. मूत्रजन्य फिस्टुला (Urinary Fistula):
    • यह मूत्राशय, गुर्दे या मूत्रमार्ग और किसी अन्य अंग, जैसे आंतों या त्वचा के बीच एक असामान्य संपर्क होता है।
    • महिलाओं में प्रसव के दौरान चोट या सर्जरी के बाद यह फिस्टुला उत्पन्न हो सकता है।
    • लक्षणों में मूत्र का असामान्य मार्ग से बाहर आना या पेशाब में कठिनाई शामिल हो सकती है।
  4. वेसिकोवेजाइनल फिस्टुला (Vesicovaginal Fistula):
    • यह मूत्राशय और योनि के बीच का फिस्टुला होता है, जिससे मूत्र योनि से बाहर आ जाता है।
    • यह अक्सर प्रसव के दौरान चोट, संक्रमण, या कैंसर के कारण होता है।
    • लक्षणों में लगातार मूत्र का लीक होना शामिल है।
  5. ट्रेकोएसोफेगल फिस्टुला (Tracheoesophageal Fistula):
    • यह श्वासनली (Trachea) और भोजननली (Esophagus) के बीच का असामान्य संपर्क होता है।
    • यह एक जन्मजात स्थिति हो सकती है, जो नवजात शिशुओं में देखी जाती है, और इसमें सांस लेने और खाने की समस्या होती है।

फिस्टुला के कारण:

  1. संक्रमण (Infection): फोड़े या मवाद बन जाने के बाद, जब वह ठीक नहीं होता है, तो उसके कारण फिस्टुला विकसित हो सकता है।
  2. सर्जरी या चोट (Surgery or Injury): किसी अंग में सर्जरी के बाद, ऊतक सही से न जुड़ने पर फिस्टुला बन सकता है।
  3. सूजन संबंधी रोग (Inflammatory Conditions): क्रोहन डिजीज या अल्सरेटिव कोलाइटिस जैसी बीमारियों में आंतों में सूजन होती है, जिससे फिस्टुला का खतरा बढ़ जाता है।
  4. कैंसर (Cancer): कैंसर के कारण अंगों में असामान्य ट्यूमर या घाव बन सकते हैं, जो फिस्टुला का कारण बन सकते हैं।
  5. विकासात्मक असामान्यताएं (Congenital Defects): कुछ जन्मजात विकारों में शरीर के अंगों के बीच असामान्य संपर्क हो सकते हैं, जैसे ट्रेकोएसोफेगल फिस्टुला।

फिस्टुला के लक्षण:

  • प्रभावित क्षेत्र में दर्द और सूजन
  • पस या मवाद का रिसाव
  • बुखार और ठंड लगना
  • मल या मूत्र का असामान्य स्थान से बाहर आना
  • संक्रमण के लक्षण, जैसे जलन, खुजली या लालिमा

फिस्टुला का निदान (Diagnosis):

फिस्टुला का निदान विभिन्न परीक्षणों के माध्यम से किया जा सकता है:

  1. फिजिकल एग्जामिनेशन: डॉक्टर प्रभावित क्षेत्र की जांच करते हैं।
  2. एमआरआई या सीटी स्कैन (MRI/CT Scan): आंतरिक अंगों का स्कैन करके फिस्टुला का पता लगाया जाता है।
  3. सिग्मायडोस्कोपी या कोलोनोस्कोपी (Sigmoidoscopy/Colonoscopy): यह गुदा और आंतों के अंदर की स्थिति की जांच के लिए किया जाता है।
  4. फिस्टुलोग्राफी (Fistulography): यह एक्स-रे तकनीक होती है जिसमें फिस्टुला के ट्रैक को देखा जाता है।

फिस्टुला का उपचार (Treatment):

फिस्टुला का इलाज आमतौर पर सर्जरी से किया जाता है, क्योंकि यह प्राकृतिक रूप से ठीक नहीं होता है। इलाज के कुछ विकल्प हैं:

  1. फिस्टुलोटॉमी (Fistulotomy): सर्जरी के जरिए फिस्टुला ट्रैक को काटकर साफ किया जाता है।
  2. सेटन तकनीक: इसमें एक मेडिकल धागे का उपयोग करके फिस्टुला को धीरे-धीरे ठीक किया जाता है।
  3. लिफ्ट सर्जरी (LIFT Surgery): गहरे फिस्टुला के मामलों में इस सर्जरी का उपयोग किया जाता है।
  4. फ्लैप सर्जरी (Flap Surgery): इसमें आसपास के स्वस्थ ऊतक का उपयोग करके फिस्टुला को बंद किया जाता है।
  5. दवाइयाँ (Medications): संक्रमण रोकने के लिए एंटीबायोटिक्स दी जा सकती हैं, खासकर सूजन संबंधी रोगों में।

बचाव (Prevention):

फिस्टुला को रोकने के लिए संक्रमण और सूजन का सही समय पर इलाज करना बेहद जरूरी है। यदि किसी को बार-बार गुदा फोड़ा हो रहा है या सूजन संबंधी बीमारी है, तो नियमित जांच और उचित उपचार से फिस्टुला बनने के जोखिम को कम किया जा सकता है।

फिस्टुला एक गंभीर स्थिति हो सकती है, जिसका समय पर और सही इलाज जरूरी है, ताकि संक्रमण और जटिलताओं से बचा जा सके।

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