Total Users- 1,138,710

spot_img

Total Users- 1,138,710

Monday, December 15, 2025
spot_img

क्यों जन्म से हो जाती है बच्चों को मिर्गी की बीमारी? जानिए कारण और इलाज

मिर्गी (एपिलेप्सी) एक गंभीर न्यूरोलॉजिकल बीमारी है, जिसमें दिमागी कोशिकाओं की असामान्य गतिविधि के कारण मरीज को दौरे पड़ते हैं। यह बीमारी जन्मजात भी हो सकती है, जिससे नवजात शिशु प्रभावित होते हैं। भारत में मिर्गी के लगभग 1.2 करोड़ मरीज हैं, जिनमें से कई मामलों में यह जन्म के समय ही विकसित हो जाती है।

मिर्गी जन्मजात क्यों होती है?

विशेषज्ञों के अनुसार, मिर्गी के जन्मजात होने के कई कारण हो सकते हैं। जीबी पंत अस्पताल के न्यूरोसर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. दलजीत सिंह बताते हैं कि इस बीमारी के पीछे प्रमुख रूप से दो कारण होते हैं:

  1. जेनेटिक कारण: अगर परिवार में किसी को मिर्गी की समस्या रही हो, तो यह बीमारी आनुवंशिक रूप से बच्चे को मिल सकती है।
  2. प्रसव के दौरान दिमागी चोट: अगर जन्म के समय बच्चे को ऑक्सीजन की कमी हुई हो या दिमागी विकास में कोई समस्या हो, तो मिर्गी का खतरा बढ़ जाता है।
  3. गर्भावस्था में संक्रमण: यदि गर्भावस्था के दौरान मां को टॉक्सोप्लाज्मोसिस, साइटोमेगालोवायरस या किसी अन्य गंभीर संक्रमण का सामना करना पड़ा हो, तो बच्चे में मिर्गी होने की संभावना बढ़ सकती है।

मिर्गी के लक्षण: कब सतर्क हों?

शुरुआती महीनों में मिर्गी का पता लगाना मुश्किल हो सकता है, लेकिन जब बच्चा बड़ा होता है, तब लक्षण सामने आने लगते हैं:

  • अचानक बेहोशी आना
  • मांसपेशियों में जकड़न या झटके आना
  • सांस लेने में परेशानी
  • बार-बार दौरे पड़ना

क्या जन्मजात मिर्गी को रोका जा सकता है?

डॉ. दलजीत के अनुसार, अगर मिर्गी जेनेटिक कारणों से हो रही है, तो इसे रोकना संभव नहीं है। लेकिन यदि यह किसी अन्य कारण से हो रही है, तो इससे बचाव किया जा सकता है:

  • गर्भावस्था के दौरान सभी जरूरी मेडिकल जांच करवाएं।
  • संक्रमण से बचने के लिए समय-समय पर चिकित्सकीय परामर्श लें।
  • प्रसव के दौरान विशेष सावधानी बरतें ताकि नवजात को किसी भी प्रकार की दिमागी चोट न पहुंचे।

बच्चों में मिर्गी का इलाज कैसे किया जाता है?

मिर्गी को पूरी तरह खत्म करना संभव नहीं है, लेकिन दवाओं और सर्जरी की मदद से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।

  • एंटी-एपिलेप्टिक दवाएं: डॉक्टरों द्वारा सुझाई गई दवाओं के नियमित सेवन से मिर्गी के दौरे कम किए जा सकते हैं।
  • सर्जरी: अगर दवाओं से राहत नहीं मिलती, तो डॉक्टर सर्जरी की सलाह दे सकते हैं।
  • कीटोजेनिक डाइट: बच्चों के लिए हाई फैट और कम कार्बोहाइड्रेट वाला भोजन फायदेमंद हो सकता है।

निष्कर्ष

मिर्गी एक गंभीर लेकिन नियंत्रित होने वाली बीमारी है। यदि लक्षणों को शुरुआती अवस्था में पहचान लिया जाए और सही इलाज करवाया जाए, तो मरीज की जिंदगी सामान्य रह सकती है। माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों के लक्षणों पर नजर रखें और किसी भी असामान्य गतिविधि के दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

More Topics

MGNREGA: मनरेगा को लेकर मोदी सरकार का बड़ा फैसला

केंद्र सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी...

लियोनल मेसी का ‘GOAT India Tour 2025’ मुंबई पहुँचा: आज CCI और वानखेड़े में होंगे बड़े आयोजन

महाराष्ट्र। दुनिया के महानतम फुटबॉलरों में शुमार अर्जेंटीना के...

इसे भी पढ़े